* जीपी पराशर एएसपी जबलपुर
सन 2000 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जीपी पराशर का कहना है कि पुलिस बल की कमी तथा संसाधनों की कमी जैसी बाते कभी आड़े नहीं आएगी यदि काम ईमानदारी पूर्वक किया जाए। श्री पराशर वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जबलपुर शहर पदस्थ है। इसके पूर्व दमोह में एएसपी थे। श्री पराशर एसडीओपी मैहर, सीएसपी मऊ, इदौर तथा जबलपुर में रह चुके हैं। उनकी पहचान विभाग के कर्मठ पुलिस अधिकारियों में हैं जो मुश्किल से मुश्किल मामलों को सुलझाते रहे हैं। उनसे हुई पीपुल्स संवाददाता दीपक परोहा से बातचीत के अंश-
प्रश्न- जबलपुर शहर में आप सीएसपी पदस्थ रहें है, यहां पुलिस के सामने मुख्य चुनौती किसे मानते हैं।
जवाब- जबलपुर में चैन स्नेचिंग, संपत्ति विवाद और संगठित अपराध के साथ चोरियां एवं ठगी जैसे आपराधिक घटनाएं होती है। इसके साथ मारपीट, अपहरण और चाकू बाजी के अपराध ज्यादा होते है। इसमें नियंत्रण के लिए हर मामले में अपराधी को पकड़ा और सजा दिलाने की चुनौती रहती है और यही पुलिस का मूल काम है। इसको करने में किसी तरह की अलाली नहीं होना चाहिए।
प्रश्न - आपने अपने अधिकार क्षेत्र के थानों के क्या प्राथमिकताएं तय कर रखी है।
जवाव- सभी पुलिस कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में बैसिक पुलिसिंग बेहतर से बेहतर तरीके से करे। सभी बीट प्रभारी अपने क्षेत्र में जाएं तथा आमजनता से सतत संवाद कायम रखे। पुलिस गश्त एवं चौकसी में जरा भी लापरवाही न की जाए। अपराधी तत्वों की लगातार धरपकड़ की जाए। पुलिस का काम आम जनता और अधिकारियों को दिखना चाहिए।
प्रश्न- पुलिस थानों में बल की कमी है, संसाधनों का अभाव है, ऐेसे में बेसिक पुलिसिंग आप कैसे करवा पाएंगे।
जवाब- यह सब काम न करने के बहाने है। पुलिस थानों में जितना भी बल मौजूद है उसका तरीके से उपयोग किया जाए, यानी की मैनपावर का मैनेमेंट होना चाहिए। हर काम समय पर और तत्काल किया जाए। ऐसे में बल एवं संसाधन की कोई कमी नहंी रहती है। काम चोरी करना हो तो सौ बहाने मिल जाते है। दर असल हर पुलिस कर्मी की अपनी जवादेही तय की जाए तो वे स्वयं ही काम करते है।
्रप्रश्न- पुलिस का अधिकांश समय कानून व्यवस्था में जाया जाता है जिसके कारण थानों में पेडिंग मामले बढ़े हुए हैं
जवाब- कानून व्यवस्था कायम रखना भी महत्वपूर्ण काम है। जबलपुर शहर में ऐसे कानून व्यवस्था को लेकर विशेष समस्या नहंी आती है लेकिन शहर संवेदनशील है। पुलिस अधीक्षक द्वारा क्राइम मीटिंग ली जाती है, इस दौरान पेडिंंग मामलों पर भी चर्चा होती है। मेरा प्रयास रहता है कि थानों में पेडिंग न रहे, इसलिए लगातार मै मानीटरिंग करता हूं।
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