Thursday, 11 February 2016

सरई के जंगल सुलग रहा आग में



 वन अमला बैठा है आग बुझने के इंतजार में
 माधवपुर बीट और बरटोला में करोड़ों की नुकसान

 जबलपुर। समीपवर्ती डिंडौरी जिले के वन परिक्षेत्र पश्चिम करंजिया मुख्यालय  से करीब 12 किलोमीटर दूर तथा गाडासरई वन डिपों से करीब 2 किलोमीटर दूर पहाड़ी क्षेत्र स्थित घने जंगल में भीषण आग लग गई। यह आग माधवपुर बीट के वन ग्राम जामपानी क्षेत्र में लगी है। आग का दायरा करीब 2 किलोमीटर के क्षेत्र में है।  इस आग में करीब एक सप्ताह से जंगल सुलग रहा है। रात के अंधेरे में जंगल में लगी आग अब भी दिखाई दे रही हे। इसके साथ ही कुछ किलोमीटर दूर स्थित गोरखपुर बीट के वरटोला के जंगल में भी भीषण आग लगी हुई है। वन अमला आग के फैलाव को रोकने का प्रयास कर रहा है। ये आग करीब 5 किलोमीटर दायरे में फैली हुई है।
करंजिया वन क्षेत्र सरई के जंगल के लिए प्रदेश में जाना जाता है। यहां सरई के पेड़ बड़ी संख्या में है। इसके अतिरिक्त अन्य जंगली पेड़ और झाड़ियां आदि है। सरई की लकड़ी ईमारती लकड़ी की श्रेणी में आती है।
करंजिया वन क्षेत्र में पिछले 7 दिनों से आग लगी हुई है। इस आग से भयभीत वन्य प्राणी इधर उधर भाग गए हैं। वन विभाग का कहना है कि जंगल में आग लगने पर वन प्राणी अपनी जान बचा लेते है।  वन में आग लगने पर जहां बड़े जानवर तो भागने में सफल होते है लेकिन छोटे वन्य प्राणी के अपने घर, उनके बच्चे आदि आग से जल जाते है। यह भी सच है कि जंगल की आग में इतनी जबदस्त क्षति जंगल के पर्यावरण पर पड़ता है कि उसकी भरपाई में सालों लग जाते है। ।
 करोड़ों में नुकसान
वन अमले की माने तो करीब दो किलोमीटर के दायरे में लगी आग से झाड़ियों के साथ करीब एक हजार से अधिक छोटे व  सूखे पेड़  जल गए है। काफी उंचाई वाले तथा पुराने पेड़ इस आग से बच गए है। आग लगभग बुझने की स्थिति पर स्वत: पहुंच गई है लेकिन जंगल अब भी सुलग रहा है। यहां से धूंंआ उठता अब भी नजर आ रहा है। रात को आग की लकीर दूर से नजर आती है। इसी तरह समीपस्थ बरटोला के जंगल में  करीब 5 किलोमीटर के दायरे में आग लगी है तथा यहां करोड़ों का वन संपदा नष्ट हुई है। यहां अब भी आग धधक रही है।  


ऐसे लिया गया नियंत्रण में
आग पहाड़ी इलाके में तथा सड़क से दूर गहरे जंगल में लगी है।  वहां तक पानी तथा फायर ब्रिगेड या टेंकर का पहुंचना संभव नहीं था। इसके चलते वन अमले के डिप्टी रेंजर एमएल सोनवानी तथा बीट गार्ड मतिया मार्सकों ने श्रमिकों एवं ग्रामीणों से सहयोग से आग जिस दिशा में फैल रही थी है वहां की झाडियां आदि काट दी गई। घासफूंस साफ कर दी गई। जंगल मेंं आग पत्तों एवं झाडियों से ही फैलती है। वन अमले ने जहां दो किलोमीटर के दायरे से आग आगे नहीं बढ़ने दी लेकिन दो किलोमीटर तक फैली आग को बुझाने भी कोई कोशिश संभव नहीं थी। आग स्वयं धीरे धीरे कर शांत हो रही  है।
बरटोला में अभी भड़क रही आग
इसी तरह कुछ किलोमीटर दूर बरटोला में पिछले पांच दिनों से आग लगी हुई है। यहां आग नियंत्रण के बाहर है। सूचना मिलने पर वन अमला मौके पर पहुंच गया। वन विभाग अपने निजी श्रमिकों की सहायता से झाड़ियों में लगी आग झाड़ियों में हरी पत्तियों की टहनी मार मार कर बुझाने में जुटा है, इसके अतिरिक्त कोई उपाय नहीं किए गए दूसरी तरफ वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने क्षेत्र का दौरा करना भी उचित नहंी समझा।
पहले भी लग चुकी है है आग
डिंडौरी के वन परिक्षेत्रों मेंं हर वर्ष गर्मियों में इस तरह की अग्नि दुर्घटना आम हो गई हैै। गर्मियों में जंगल में फैले पत्ते एवं सूखी पड़ी झाड़ियों में एक चिंगारी भी आग फैलाने के लिए काफी है। स्थानीय ग्रामीणों की जंगल में दखल आग का मुख्य कारण बन रही है। यहां के वनोपज से आदिवासियों को गुजारा चलता है। इस आग ने उन्हें बैचेन कर दिया है।
आग की आड़ में भ्रष्टाचार



 जंगल में  लगने वाली आग वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई का जरिया बन जाता है। जहां बड़ी मात्रा में जलाऊ लकड़ी इस मौके पर खुर्दबुर्द की जाती है। वहीं जानकारों का कहना है कि आग बुझाने के नाम पर फर्जी श्रमिकों के नाम पर भुगतान निकाल लिया जाता है जबकि आग स्वत: ही बुझ जाती है।
वर्जन

वन क्षेत्र में आग लगी है, जिसको फैलने से रोकने में हम कामयाब हो गए है। आग फैलने के रास्ते से झाड़ियां आदि हटाई गई। इस काम में ग्रामीणों का सहयोग भी रहा है।
्नँ एमएल सोनवानी
डिप्टी रेंजर, करंजिया  

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