इतिहास भी छिपाया जा रहा: मेजर जनरल जीडी बख्शी
हमारा देश दुनिया का बेहतरीन गणतंत्र है, इस गणतंत्र दिवस पर अपेक्षा है कि देश दुनिया के ताकत बनकर उभरे, इस देश के लोग समृद्धशाली होए। देश को वर्तमान में अपना गणतंत्र बचाने के लिए देश के भीतर और बाहरी मोर्चों पर पूरी इमानदारी से लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अंग्रेज जो फूट डालो राज करो का बीजारोपण कर गए है, उससे यहां के राजनेताओं को बचने की जरूरत है। यह कहना है सेवानिवृत मेजर जनरल गगनदीप बख्शी का। पीपुल्स से गणतंत्र दिवस के पूर्व हुई उनसे बातचीत के अंश-
प्रश्न- गणतंत्र दिवस पर आप देश वासियों को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
जवाब- हर भारतीय यह सोच बनाए कि हमारा देशउन्नति करे और फले फूले। हम दुनिया को विश्व गुरू ओर विश्व शक्ति के रूप में दुनिया के सामने लाए। हममें यह सामर्थ है इस भारतीय नागरिकों को देश के प्रति कर्तव्यों का ध्यान रखने की जरूरत है। संविधान ने हमे अधिकार दिए है ,जिसे हम याद रखते हैं लेकिन कर्तव्य को नजर अंदाज कर देते है।
प्रश्न- भारतीय गणतंत्र में जबलपुर का क्या योगदान है?
जवाब- जबलपुर देश के प्रति जो योगदान है, वह शायद ही किसी और शहर का ऐसा अभूतपूर्व योगदान रहा है। भारतीय इतिहास में अमर योगदान है। सभी लोग 1857 के सैनिक विद्रोह के विषय में जानते है, जो कुछ राजघरानों के नेतृत्व में सैनिकों ने किया था तथा जबलपुर में भी सैनिक विद्रोह हुआ था लेकिन इस विद्रोह से कहीं अधिक प्रभावशाली विद्रोह सन 1946 में एक विद्रोह हुआ था जिसका इतिहास में भी ज्यादा उल्लेख नहीं है, इस विद्रोह से घबराकर अंग्रेज भारत छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे।
प्रश्न - आजादी के पूर्व वर्षो में किस तरह का सैनिक विद्रोह हुआ था?
जवाब- फरवरी 1946 में रायल इंडिया नेवी के सैनिकों ने मुम्बई एवं कोचीन में अंग्रेज शासन के खिलाफ विद्रोह कर 78 जहाजों में तिरंगा फहराकर रैली निकाली थी। इसके बाद ही करांची में रॉयल एयर फोर्स ने भी अंग्रेजों की खिलाफ की थी। अंग्रेजों के दौरान मध्य कमान की छावनी जबलपुर हुआ करती थी। यहां सिग्नल रेजीमेंट के तीन हजार जवानों के अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था। सैनिकों इस असंतोष से अंग्रेज बुरी तरह हिल गए थे। खासतौर पर जबलपुर में हुए विरोध के बाद तो उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय ले लिया चूंकि मुठ्ठी भर अंग्रेज के आगे लाखो भारतीय फौजियों का विद्रोह टिकतने की कोई संभावना नहीं थी। जबलपुर के फौजी विद्रोह ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए।
प्रश्न- क्या हमारे इतिहास को छिपाया जाता रहा है?
जवाब- जी हां भारतीय इतिहास के कई पहलुओं को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने छिपाया था। आजाद हिन्द फौज के 40 हजार जवान शहीद हुए थे। नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने रंगून तक भारतीय झंडा पहराया था। आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को स्वतंत्र भारत की सेना में शामिल नहीं किया गया। मृत शहीद सैनिकों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं माना गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस संबंधी फाइले वर्षो गोपनीय बनाकर रखी गई। सन 1946 के सैनिक बगावत को भी छिपाने कोशिश की गई।
प्रश्न- अंग्रेजों के शासन और वर्तमान शासन में क्या समानता है?
जवाब-अंग्रेजों न रूल एण्ड डिवाइड के सिद्धांत पर शासन किया। हिन्दु और मुस्लिमों को आपस में लड़वाया गया। वर्तमान में सत्ता में आने के लिए राजनेता भी इसी को बढ़ावा दे रहे है। सम्प्रदायिकता के आधार पर वोट बैंक बनाए जाते है। जाति गत आधार पर चुनाव लड़े जा रहे है। यही दो वर्गो के विभाजन । समानता क्या , हमने तो अंग्रेजों से कहीं अधिक विभाजन वर्गो का कर रहे है। गणतंत्र दिवस पर हमे और राजनेताओं को अखंड भारत का संकल्प लेना चाहिए और इस दिशा में इमानदारी से काम करना चाहिए।
प्रश्न- क्या आरक्षण हमारे संविधान का कमजोर पहलू है?
जवाब- आरक्षण एक ऐसा विषय है जिसपर गंभीर मंथन एवं समीक्षा की जररूत है। देश आजादी के इतने साल बाद भी आरक्षण की जरूरत क्यों पड़ रही है। देश में दरअसल अर्थिक विषमता बेहद बढ़ गई है। चंद लोगों के हाथों में पूंजी केद्रित होकर रह गई है। यही वजह है कि आरक्षण की जरूरत पड़ रही है। वर्तमान में आर्थिक आरक्षण की बेहद जररूरत है। चाहे किसी भी वर्ग-जाति -धर्म का व्यक्ति का गरीब व्यक्ति हो उसको आर्थिक आरक्षण मिलना चाहिए। जहां तक पचास प्रतिशत आरक्षण का सवाल है , उसका दूसरा पहलू यह है कि ये पचास प्रतिशत प्रतिभा सम्पन्न वर्ग को पतन की ओर ले जाने का प्रयास है।
प्रश्न - देश में कहाँ आरक्षण नहंी है?
जवाब- सेना में आज भी आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। निडर योग्य व्यक्ति की देश की सीमाओं की रक्षा कर सकता है। इसके चलते सेना में शून्य आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसी ही अति और आवश्यक सेवाओं में व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रश्न- देश में असहिष्णुता का मुद्दा उठा हुआ है, इस संबंध में आपकी क्या सोच है?
जवाब- असहिष्णुता कोई विषय ही नहीं है। इस राजनेता अपने स्वार्थ के रूप में उपयोग कर रहे है। समाज में भाईचारा बना है। हमारे गणतंत्र में सभी को समान अधिकार है। दरअसल हमे असहिष्णुता की जरूर है, यह असहिष्णुता होनी चाहिए बलात्कारियों के प्रति, आतंकवादियों के प्रति, अपराधियों -समाजद्रोहियों और भ्रष्टाचारियों के प्रति जो देश को खोखला कर रहे है। उनसे कोई दया दिखाने की कहीं कोईआवश्यकता नहीं है ।
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