नगर की सुख समृद्धि से जुड़ा है कमल
जबलपुर। दुर्लभ हजार दल के कमल को बचाने के लिए मझौली के नागरिकों ने तालाब को बचाने एक अभियान चलाया है। इस तालाब में जो कमल पाए जाते है, वह आसपास के किसी इलाके में नहीं पाए जाते है। किवदंतियों के मुताबिक यहां शहस्त्र दल के कमल खिलते है जो भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। मझौली स्थित विष्णु सरोवर पुराना नाम नरिया तालाब की सफाई के लिए क्षेत्रीय लोग पिछले दस दिनों से सघन अभियान चला रहे है तथा तालाब की चोई आदि हटाई जा रही है जिसके पीछे उद्देश्य है कि यहां होने वाले सहशस्त्र दल कमल को बचाया जाए।
सहशस्त्र दल को लेकर किवदंतियां एवं पौराणिक मान्यता है कि जिस तालाब और सरोवर में सहस्त्र दल कमल खिलते है, वहां देव लोक से देवता तथा गंधर्व आदि स्नान करने आते है। ऐसी मान्यता है कि सूदूर हिमालय स्थित मानसरोवर में सहस्त्र दल कमल पाया जाता है। मझौली के पुराने बुर्जगों का कहना है कि इस तालाब में सहस्त्रदल कमल पाए जाते है।
अदभुत कमल पाए जाते है
यह सच है कि विष्णु सरोवर में वर्षो से प्रतिवर्ष विलक्षण कमल खिलते है जिसमें सामान्य कमल से कई गुना अधिक दल पाए जाते है। जिसको लोग सहस्त्र दल कमल के रूप में मानते है। जैसे कमल इस तालाब में खिलते है, वैसे कमल प्रदेश के अन्य किसी सरोवर अथवा तालाब में नहीं खिलते है। पुराने बुर्जगों का कहना है कि उन्होंने तालाब में सहस्त्र दल कमल भी खिलते देख चुके है जो कई वर्षो में एक दो बार ही खिलते है जो विष्णु वाराह मंदिर में अर्पित होते है।
ये लोग जुट तालाब बचाने
विष्णु सरोवर के कमलों के पौधों की रक्षा के लिए विश्व हिन्दु परिषद के मदन साहू तथा त्यागी आश्रम के के नव युवक मंडल के नेत्रत्व में सफाई अभियान चल रहा है। पिछले दस दिनों से क्षेत्र के महिला -पुरूष तथा बच्चे तक तालाब में उतर आए है और भरी ठंड में घंटो पानी में रहकर तालाब की चोई हटाने के काम मे जुटे है। तालाब की आधे से अधिक चोई हटा ली गई है।
क्या कहते है वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों की माने तो अमूमन अच्छी प्रजाति के कमल में पचास से अधिक दल नहीं पाए जाते है। इससे अधिक दल वाले कमल को अमूमन लोग सहस्त्र दल का कमल बोल देते है। मझौली तालाब में अधिक दल के कमल पाए जाने की खबर मिलती रही है।
वर्जन -2
म्यूटीयन का परिणाम
सैकड़ो-हजारों साल में कभी कभार जैनेटिक परिवर्तन जीव जन्तु एवं प्लांट में होते है। इस परिवर्तन के दौरान अपनी सामान्य प्रकृति से हट कर उत्पत्ति होती है जिसे म्यूटीयन कहा जाता है। कमल के सरोवर में कभी कभार म्यूटियन के प्रभाव से सामान्य से कई गुना अधिक दल वाले कमल हो जाते है जो म्यूटीयन के कारण होते है और ये दुर्लभ होते है। कुछ पीढी बाद वे विलप्त भी होने लगते है। इस तरह के कमल को लोग सहस्त्र दल कमल कहते है।
डॉ किनजिलक सिंह
कृषि वैज्ञानिक
कीलित किया गया
देश में दुर्लभ कल्चुरी कालीन विष्णु वराह की दुर्लभ प्रतिमा मझौली में स्थित है। विष्णु बराह का यह दुर्लभ एवं एतिहासिक मंदिर यहां स्थित है जो सरोवर से कुछ फासले में है। एसी किवदंतियां है मछुआरों को जाल में भगवान विष्णु वराह की मूर्ति मिली थी जिसको मंदिर में स्थापित किया गया था लेकिन मूर्ति प्रतिदिन बढ़ती चली गई , अंतत: इसको कीलित किया गया जिसके बाद इसका बढ़ना रूका है। अब भी देश भर से लोग यहां विष्णु वराह के दर्शन करने आते है।
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