Thursday, 11 February 2016

जंगल के राजा को किंग कोबरा से बचाने कवायद


केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने जारी किए निर्देश
जबलपुर। जंगल के राजा को किंग कोबरा से बचाने वन अमला एवं चिड़ियाघर प्रबंधन विशेष रूप से सतर्क है। दरअसल इंदौर चिड़ियाघर में 29 दिसम्बर को किंग कोबरा ने बाड़े में एक सफेद टाइगर को डस कर मार डाला था। विलुप्त होती सफेद टाइगर की मौत ने केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को हिलाकर रख दिया था। गर्मी के सीजन में चिड़ियाघर एवं नेशनल पार्क के बाड़ों में सर्प निकलने की घटनाएं बढ़ने के मद्देनजर किंग कोबरा से टाइगर को बचाने विशेष प्रयास शुरू किए गए है।
ज्ञात हो कि ं 29 दिसम्बर को किंग कोबरा ने इंदौर चिड़ियाघर में बाड़े में एक सफेद टाइगर को डस लिया जिससे उसकी मौत हो गई। टाइगर राजन की मौत को लेकर केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के आला अधिकारियों ने जांच पड़ताल की और विशेषज्ञों के दल से रिपोर्ट मांगी गई। इस रिपोर्ट के बाद केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण इस नतीजे पर पहुंचा है कि बाड़े में वाइल्ड एनीमल को रखने अब तक बने नियम निर्देश वैसे ही कड़े हैं लेकिन शेरों को किंग कोबरा से खतरा रहता है और इसके लिए सभी चिड़ियाघर तथा नेशनल पार्क जो इनक्लोजर में शेर-चीतों को रखते हैं, उनकी जहरीले सांप से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए।
इस संबंध में केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने समस्त नेशनल पार्क एवं चिड़ियाघरों को सरकुलर भी जारी कर रखा है। इसके तहत चिड़ियाघरों को शेरों की सुरक्षा और खासतौर पर किंग कोबरा जैसे विषधर से बचाने और अधिक इंतजाम करने के निर्देश दिए है। इसके साथ प्रदेश के अनेक चिड़ियाघरों में सर्प विशेषज्ञों एवं सर्प पकड़ने वालों का सहयोग लिया जा रहा है।
सर्प विशेषज्ञ को बुलाया गया
जबलपुर के सर्प विशेषज्ञ मनीष कुलश्रेष्ठ को पन्ना नेशनल पार्क सहित रीवा में वाइट टाइगर प्रोजेक्ट से बुलाया जा चुका है। नेशनल पार्क में जहां टाइगरों को बाड़े में रखा गया हैं, वहां आसपास सर्प की मौजूदगी का पता लगाकर उनके पकड़ा भी जा रहा है। इस कार्य के लिए मनीष कुलश्रेष्ठ द्वारा वन कर्मियों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
 चिड़ियाघर में चूहे न पाले जाए
चिड़ियाघरों में जानवारों को दिए जाने वाले चने एवं अन्य खाद्यान्न डालने पर भी रोक लगाई जाने पर विचार चल रहा है। इस तरह के अनाज  चूहों को आकर्षित करते है और ये चूहे चिड़ियाघरों में जगह जगह बिल बना देते हैं और यही बिल जहरीलें सांप का घर बनता है और चूहे उनकी खुराक बनती है। इंदौर, भोपाल तथा ग्वालियर स्थित चिड़ियाघरों में पहले भी कई बार जहरीले सर्प निकल चुके है। इस सांपों से यहां के जंगली जानवारों पर मौत का खतरा मंडराता रहता है।
वर्जन
नेशनल पार्क से सांप को तो नहीं भगाए जा सकते हैं लेकिन जहां टाइगरों को बाड़े में रखा जाता है, वहां से सर्प न पहुंचे इसकी व्यवस्था बेहद जरूरी है। बाड़े में अमूमन सर्प पकड़ने वाले का घुसना मुश्किल रहता है। शेर के रहने वाली जगह का तापमान भी सांप के अनुकूल रहता है और बाड़े में चूहे भी रहते है जिसके कारण यहां सर्प न पहुंचे इसके इंतजाम बेहद जरूरी है। वर्तमान में इस दिशा में काम चल रहा है।
मनीष कुलश्रेष्ठ
प्राणी विशेषज्ञ 

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