वन अमला सकते में, तमाम प्रयासों में फिरा पानी
आधा दर्जन चीतलों की मौत
जबलपुर। गर्मी के मौसम में जंगल में जल स्त्रोत सूखने पर प्यासे गांव और शहर में पानी की तलाश में घुसते है और यहां बेमौत मारे जाते है। इस समस्या से निपटने के लिए वन विभाग द्वारा जंगल के भीतर पानी पहुंचाने की योजना चलाई लेकिन इसके बावजूद वन्य प्राणी लगातार गांवों में घुस रहें है। अब तक जबलपुर और कटनी वन क्षेत्र के छह चीतलों की मौत हो चुकी है।
्रप्राप्त जानकारी के अनुसार पिछल्ले दिनों कटनी क्षेत्र के जंगल से भटके चीतल की गांव में मौत हो गई थी। इसके पूर्व तीन चीतलों की मौत यहां केण्ट क्षेत्र में हुई थी तथा दो चीतल की मौत सीता पहाड़ी क्षेत्र में हुई थी।
जबलपुर शहर सहित अनेक गांव में हर वर्ष चीतल एवं हिरण की मौत नहर में डूबने तथा गांवों में कुत्तों से हमले के कारण गर्मियों में होती रही है। इसके साथ ही गर्मी में शिकारियों द्वारा इन जानवरों का लगातार शिकार भी किया जाता रहा है। जंगल में जल स्त्रोत सूखने पर जानवर जंगल से बाहर आते रहे है और घात लगाए शिकारियों द्वारा मारे जाते है। वन विभाग ने इस समस्या से निपटने गांव के भीतर गड़ढे आदि खोद कर तथा प्राकृतिक जल स्त्रोत जो सूख गए हैं उनमें टेंकरों से पानी भरा जाता है। इसके साथ ही जबलपुर में नहर के किनारे टंकी अथवा गड़्ढों में पानी भरा जाता है जिससे चीतल नहर में न गिरे लेकिन इसके बावजूद चीतलों की होने वाली मौत से वन अमला परेशान है।
वर्जन
वन्य प्राणी पानी की तलाश में जंगल से बाहर न आए इसके लिए जंगल तक पानी पहुंचाया जाता है, लेकिन फिर भी कुछ जानवर वाहर आ जाते है, इसको लेकर दिनों विशेष चौकसी बरती जा रही है।
आरके पांडे
एसडीओ फारेस्ट
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