छिंदवाड़ा बना है शिकारियों का स्वर्ग
पेंच और सतपुड़ा टाइगर का बफर एरिया है छिंदवाड़ा वन वृत
जबलपुर। छिंदवाड़ा वन वृत के एरिया में पिछले दिनों बाघिन का शिकार किए जाने की घटना से पूरा वन विभाग सकते में आ गया है। इसके पूर्व भी पेंच के टाइगर का शिकार किया गया था, जिसकी खाल छिंदवाड़ा में ही पाई गई थी। छिंदवाड़ा वन मंडल शिकारियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। यहां शिकार की प्रवृति पर विराम लगाने वन विभाग को विशेष मशक्कत करनी पड़ रही है। वनवासियों को काम-धंधे से भी जोड़ा जा रहा है।
छिंदवाड़ा में जबरदस्त तरीके से वन प्राणियों की शिकार की घटनाएं बढ़ने के बाद अब वन अफसर सजग हो गए हैं। हाल ही में बाघिन के शिकार भी दरअसल, छोटे जानवरों के शिकार के लिए फैलाए हुए बिजली की बाढ़ से हुआ था। शिकारी जंगली सुअर का शिकार करने के लिए बिजली का करंट लगाए हुए थे, जिसमें बाघिन धोखे से फंस कर मार गई। बहरहाल, इस मामले में विभाग ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही जिसके खेत में तार लगाया गया था, खेत मालिक पर भी मामला बन रहा है।
जंगली सूअर मुख्य टारगेट
छिंदवाड़ा से जुडेÞ सतपुड़ा नेशनल पार्क तथा पेंच एरिया है। इसी तरह नागपुर का जंगल भी छिंदवाड़ा के करीब है। वन प्राणियों की आमद छिंदवाड़ा के बफर एरिया में होती रही है, जिसके कारण यहां जंगली सुअरों का बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है। गांव-गांव बिजली के तार लगाकर शिकार की घटनाएं आम हो गई हैं। सर्वाधिक शिकार जंगली सुअर को बनाया जाता है, किन्तु इसके साथ ही चीतल और सांभर के भी शिकार किए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा में दुर्लभ जन्तु पेंगोलिन के शिकार की घटना हुई थी, जिसमें न केवल 30 आरोपी पकड़े गए, वरन् एक बाघ के शिकार का भी रहस्य खुला था। यहां शिकार की लगातार घटनाएं प्रकाश में आ रही है। शिकार की घटनाएं रोकने विभागीय अधिकारी और कर्मचारी नाकाम साबित हो रहे हैं।
वनवासियों को बांस की खेती में लगाया
छिंदवाड़ा में बढ़ते शिकार को रोकने के उद्देश्य से जंगल से लगे ग्रामीणों को वनोपज बांस आदि के उत्पादन के लिए वन विभाग बढ़ावा दे रहा है। विभाग की मानें तो आदिवासियों एवं किसानों से बांस की खेती कराई जाएगी, जो उनकी जीविका का साधन बनेंगे तथा लोग भी जंगल और वन्य प्राणी का महत्व समझेंगे। उनके माध्यम से भी वन विभाग जंगलों की खैर खबर रखेगा। वन अमले की योजना है कि वन भूमि वनवासियों को दी जाएगी तथा उसमें उनसे बांस की खेती भी कराई जाएगी। इसका लाभांश उन्हें प्रदान किया जाएगा।
...वर्जन...
हम शिकार रोकने हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वन वासियों को रोजगार देने का भी प्रयास कर रहे है। तामिया रेंज के 20 परिवारों को 400 हेक्टेयर वन भूमि आवंटित की गई है, जिसमें वे बांस की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही वन रक्षा समिति को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।
सीआर त्यागी, सीसीएफ, छिंदवाड़ा
पेंच और सतपुड़ा टाइगर का बफर एरिया है छिंदवाड़ा वन वृत
जबलपुर। छिंदवाड़ा वन वृत के एरिया में पिछले दिनों बाघिन का शिकार किए जाने की घटना से पूरा वन विभाग सकते में आ गया है। इसके पूर्व भी पेंच के टाइगर का शिकार किया गया था, जिसकी खाल छिंदवाड़ा में ही पाई गई थी। छिंदवाड़ा वन मंडल शिकारियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। यहां शिकार की प्रवृति पर विराम लगाने वन विभाग को विशेष मशक्कत करनी पड़ रही है। वनवासियों को काम-धंधे से भी जोड़ा जा रहा है।
छिंदवाड़ा में जबरदस्त तरीके से वन प्राणियों की शिकार की घटनाएं बढ़ने के बाद अब वन अफसर सजग हो गए हैं। हाल ही में बाघिन के शिकार भी दरअसल, छोटे जानवरों के शिकार के लिए फैलाए हुए बिजली की बाढ़ से हुआ था। शिकारी जंगली सुअर का शिकार करने के लिए बिजली का करंट लगाए हुए थे, जिसमें बाघिन धोखे से फंस कर मार गई। बहरहाल, इस मामले में विभाग ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही जिसके खेत में तार लगाया गया था, खेत मालिक पर भी मामला बन रहा है।
जंगली सूअर मुख्य टारगेट
छिंदवाड़ा से जुडेÞ सतपुड़ा नेशनल पार्क तथा पेंच एरिया है। इसी तरह नागपुर का जंगल भी छिंदवाड़ा के करीब है। वन प्राणियों की आमद छिंदवाड़ा के बफर एरिया में होती रही है, जिसके कारण यहां जंगली सुअरों का बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है। गांव-गांव बिजली के तार लगाकर शिकार की घटनाएं आम हो गई हैं। सर्वाधिक शिकार जंगली सुअर को बनाया जाता है, किन्तु इसके साथ ही चीतल और सांभर के भी शिकार किए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा में दुर्लभ जन्तु पेंगोलिन के शिकार की घटना हुई थी, जिसमें न केवल 30 आरोपी पकड़े गए, वरन् एक बाघ के शिकार का भी रहस्य खुला था। यहां शिकार की लगातार घटनाएं प्रकाश में आ रही है। शिकार की घटनाएं रोकने विभागीय अधिकारी और कर्मचारी नाकाम साबित हो रहे हैं।
वनवासियों को बांस की खेती में लगाया
छिंदवाड़ा में बढ़ते शिकार को रोकने के उद्देश्य से जंगल से लगे ग्रामीणों को वनोपज बांस आदि के उत्पादन के लिए वन विभाग बढ़ावा दे रहा है। विभाग की मानें तो आदिवासियों एवं किसानों से बांस की खेती कराई जाएगी, जो उनकी जीविका का साधन बनेंगे तथा लोग भी जंगल और वन्य प्राणी का महत्व समझेंगे। उनके माध्यम से भी वन विभाग जंगलों की खैर खबर रखेगा। वन अमले की योजना है कि वन भूमि वनवासियों को दी जाएगी तथा उसमें उनसे बांस की खेती भी कराई जाएगी। इसका लाभांश उन्हें प्रदान किया जाएगा।
...वर्जन...
हम शिकार रोकने हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वन वासियों को रोजगार देने का भी प्रयास कर रहे है। तामिया रेंज के 20 परिवारों को 400 हेक्टेयर वन भूमि आवंटित की गई है, जिसमें वे बांस की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही वन रक्षा समिति को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।
सीआर त्यागी, सीसीएफ, छिंदवाड़ा
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