सन 1990 के दशक प्रदेश के शहरों में आर्थोपेडिक सर्जरी की क्रांतिकारी शुरूआत वाला समझा जाता है। सर्जरी से बोन फैक्चर में लोगों को महीनों के लम्बे इलाज से छुटकारा मिल जाता है। अब तो दो तीन दिनों में ही टूटी हड्डियां सर्जरी के माध्यम से जोड़ी जाने लगी और मरीज हफ्ते भर में नियमित होने लगे है। इंग्लैड, स्विट्जर लैण्ड, मुम्बई में हड्डियों की शल्य चिकित्सा करने का अभुव अर्जित कर डॉ सुधीर तिवारी जबलपुर में आधुनिक तरीके से अस्थि सर्जरी कर रहे हैं। जबलपुर में आधुनिक शल्य चिकित्सा की शुरूआत करने वालों में चिकित्सकों में शुमार हैं।
डॉ. तिवारी बताते है कि सन 1992-93 में मल्टी फैक्चर के मामले आने पर जबलपुर के मरीजों को सीधे नागपुर एवं मुम्बई रेफर किया जाता रहा है लेकिन आज जबलपुर में कुल्हे तथा घुटने प्रत्यारोपित किए जा रहे है।
डॉ सुधीर तिवारी वर्ष 1994 से लेकर आज तक जबलपुर में शल्य चिकित्सा एवं अस्थि रोग का उपचार कर रहे हैं। वर्तमान में जबलपुर हास्पिटल एवं डॉक्टर भंडारी हास्पिटल में सर्जरी करते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कितनी सर्जरी की इसके गिनती कभी नहीं की। चाहे बड़ी से बड़ी सर्जरी हो अथवा छोटी से छोटी सर्जरी उतनी ही तन्मयता और सावधानी पूर्वक नई तकनीकि का इस्तेमाल करके की।
उनके द्वारा की गई यादगार सर्जरी
केस 1-
वर्ष 1993 में इंग्लैड से लौट कर आने पर सतना से एक्सीडेटल मामले का एक केस उनके पास आया था जो पॉली ट्रामा का प्रकरण था। इस मामले में मरीज की घुटने और कूल्हे की हड्डियों में असंख्य फैक्चर थे, हड्डियां जगह जगह से चकनाचूर हो चुकी थी। इस चुनौती पूर्ण आपरेशन में डॉ सुधीर तिवारी एवं उनकी टीम को 14 घंटे लगे। उनके साथ अस्थिरोग सर्जन डॉ.संजीत बैनजी थे। इसमें सभी हड्डियों को उनके निर्धारित स्थान में बैठाया गया। उच्च तकनीकि का इस्तेमाल कर स्कू्र, नट बोल्ट से हड्डियों को जोड़ा गया। स्टील की छोटी बाड़ी कई प्लेटें लगाई गइ। इस तहर का आॅपरेशन जबलपुर में पहली बार और सफतला पूर्वक किया गया।
केस -2
जबलपुर के ही एक मरीज के घुटने में कई फैक्चर आए थे। उसके घुटने बदले जाने की स्थिति निर्मित हो गई थी लेकिन इस घुटने में डायनमिक कंडालर स्कू डाला गया जिससे घुटने का मुड़ना संभव हो सका और मरीज के पैर में स्थायी विकृति नहीं आ पाई।
केस -3
कोहनी टूटने में एक या दो फैक्चर अमूमन होते है लेकिन डॉक्टर सुधीर तिवारी के पास एक महिला मरीज आई जिसके कोहनी के 8 तुकड़े हो गए थे। आॅपरेशन करने के दो दिन बाद ही उसकी कोहनी का मूवमेंट शुरू हो गया।
केस-4
स्पोर्ट इंज्यूरी संबंधी मामले के संबंध में डॉ तिवारी ने बताया कि संजू माथन नामक एथलीट जो वर्तमान में सेना में पदस्थ है। उसके अंगूठा लगभग पूरी तरह टूट कर घुम चुका था। उससे तीन माह में पूरी तरह दौड़ने कूदने लायक बनाया गया और बाद में वह नेशनल एवार्ड भी प्राप्त किया। उनका कहना है कि स्पोर्ट इंज्यूरी में उनके द्वारा आर्थो स्कोपी से चिकित्सका की जा रही है। दूरबीन पद्धति से बिना आॅपरेशन किए सर्जरी कर हड्Þडी जोड़ी जाती है जिससे खिलाड़ी जल्द ठीक होए। डॉ तिवारी ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खिलाड़ियों की चिकित्सा इसी तरीके से की।
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उनकी फैलाशिप इग्लैंड में हुई। वे जबलपुर के ही मूल निवासी है और राइट टाउन में स्वयं की क्लिनिक है। उन्होने सेंट जार्ज हास्पिटल लंदन, टिमेली हॉस्पिटल ज्यूरिच स्विटजरलैण्ड , क्लीन मेरी चिल्डन आर्थोपेडि हास्पिटल इग्लैड तथा जसलोक हास्पिटल एंड रिसर्ज सेंटर मुम्बई के कई वर्ष सेवाएं देने के उपरांत अपने गृह नगर में सेवाएं दे रहे है।
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इंटर व्यू --
गंभीर अस्थि रोग से थोड़ी
सावधानी से बचना संभव
भारत में अस्थिरोग तेजी से बढ़ रहा है। गंभीर अस्थि रोग से थोड़ी सावधानी दिनचर्चा में बरतने से बचा जा सकता है। इससे लोग भविष्य में बड़ी आर्थोपेडिक सर्जरी और बीमारी से बच सकते है। ये कहना है डॉ. सुधीर तिवारी का। उनसे हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-
प्रश्न- इन दिनों अस्थि व्याधि संबंधी कौन से बीमारी ज्यादा सामने आ रही है?
जवाब -मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में तेजी से आस्टोपोरोसिस नामक बीमारी हो रही है। ये बीमारी बच्चों, प्रौण महिला-पुरूषों एवं वृद्धों में सर्वाधिक हो रही है। हस्थिरोग में हर दसवां मामला इसी बीमारी का होता है। इस बीमारी में मानव की अस्थियों से कैल्सियम की मात्रा घट जाती है जिससे हड्डियां खोखली हो जाती है। यह एक स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए बेहद घातक है।
प्रश्न- इस बीमारी का उपचार क्या है और बचाव के क्या उपाय है?
जवाब- बीमारी विटामिन डी की कमी से होती है तथा बाजार में दवाइयां उपलब्ध है लेकिन हड्डियों में खोखलापन न आए इसके लिए हर व्यक्ति को उपचार करना चाहिए। एक तो हड्डियों की मजबूती के लिए दूध का सेवन बेहद जरूरी है। सस्ते फल संतरा, पाइनएपल, बिही, आवला आदि का सेवन करना चाहिए। विटामिन डी बनाने की शरीर में स्वयं क्षमता होती है। व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह आधा घंटे सनबाथ लेना चाहिए। मालिस एवं सनबाथ लेने
वाले व्यक्ति की हड़डी मजबूत रहती है।
प्रश्न-रूमरथ्राटाइज से लोग तेजी से पीड़ित हो रहे है। इसके मरीज की हड्डियां अकड़ जाती है, असहनीय वेदना से गुजरना पड़ता है, आखिर बीमारी क्यों फैल रही है?
जवाब- ये मूलत: अस्थिरोग नहीं है लेकिन इफैक्टर हड्डियों पर पड़ता है। दरअसल ये गुप्त संक्रमण हैं, यानी कि किसी बाहरी वैक्टिरिया या वायरस से संक्रमण नहीं होता है वरन मानव का स्वयं का रोग प्रतिरोधन तंत्र स्वयं के शरीर पर अटैक करता है। इसके होने के पीछे मुख्यत: अनियमित दिनचर्चा, वंशानुगत कारण, अत्यधिक तनाव तथा भोजन में पोषक तत्वों की कमी हो सकते है। इसमें संयमित तरीके से दवा देने से रोग से छुटकारा संभव है।
प्रश्न - अधिकांश वृद्धजनों को ओस्ट्रियो आर्थराइट्स , घुटने खराब होना जैसे कई रोग हो जाते है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारतीयों में ये बीमारी ज्यादा है क्या?
जवाब- औसतन भारतीय जनों में ओस्टियों आर्थराइट्स ज्यादा होता है। यूं तो वृद्धा अवस्था में सभी को अस्थि व्याधि होती है लेकिन भारतीय लोगों की दिनचर्चा में असावधानी बड़ा कारण है। इस संबंध में मेरा कहना है कि ‘कम वजन, सुखद सफर’ यानी व्यक्ति अपना वजन नियंत्रित रखे, मोटापा से बचे तो कई हड़्डियों संबंधी होने वाली बीमारी और दर्द से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही पाल्थी एवं उकडू बैठना बिल्कुल भी उचित नहंी है। इससे बचने की कोशिश करना बेहद जरूरी है। भोजन में पौष्टिक पदार्थो की कमी भी हड्डियों की समस्या को बढ़ा रही है।
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