Thursday, 11 February 2016

समाज के प्रति भी है पुलिस का दायित्व



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 अशोक तिवारी
 डीएसपी अजाक
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पुलिस विभाग में कर्मठ पुलिस अधिकारी के रूप में पहचाने जाने वाले अशोक तिवारी हाल ही में पदोन्नत होकर डीएसपी अजाक  शाखा में पदस्थ किए गए है। श्री तिवारी 1983 बैच के सब इंस्पेक्टर है। उनकी पदस्थापना  जबलपु, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, इंदौर जिलो में रही है। जबलपुर मे बरेला थाना में पद स्थाना के दौरान 1997 में  जबलपुर में आए भीषण भूकम्प से बरेला थाना क्षेत्र स्थित कोसमघाट गांव सहित कई गांव बुरी तरह तहस नहस हो गए थे। इस दौरान अशोक तिवारी ने पुलिस कर्मियों से हट कर एक  समाज सेवक की भूमिका का निर्वाह किया था। वे अब भी समाज सेवा के कार्यो से जुड़े रहने के हर संभव प्रयास करते है।  पीपुल्स संवाददात दीपक परोहा की उनसे हुई  बातचीत के अंश-
प्रश्न-  जबलपुर पुलिस को कैसे आपकी पदस्थाना का लाभ मिलेगा?
जवाब- मैने जबलपुर में लम्बे समय तक सर्विस की है। निश्चित ही जबलपुर में अपराध एवं कानून व्यवस्था की समस्या से अवगत हूं। मै इंदौर से पदोन्नत होने के बाद अजाक शाखा में पदस्थ किया गया  हूं लेकिन जब कभी भी जिला पुलिस को जरूरत रहती है, अजाक से भी पुलिस कर्मियों को बुलाया जाता है।
प्रश्न- अनुसूचित जाति जनजाति संबंधी अपराध की क्या स्थिति है?
जवाब - अनुसूचित जाति जनजाति के व्यकित जब कभी अपराध की घटना का शिकार होते है तो उसकी जांच पड़ताल पूरी संवेदना से की जाती है। थानो में केस डायरी आजक थाने पहुंचती है तथा मुलजिम को न्यायालय में पेश करने तथा की गई विवेचना की पूरी निगरानी रखी जाती है। पुलिस बेहद संवेदनशीलता से जांच पड़ताल करती है। अपराधों के दर में गिरावट भी आई है।
प्रश्न- अमूमन यह कहा जाता है कि  अनुसूचित जनजाति की महिलाओं से दुराचार के अधिकांश मामले झूठे निकलते है?
जवाब- ऐसा नहंी है कि सभी मामले झूठे रहते है। पुलिस पीड़ित महिला की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज करती है और पूरी संवेदनशीलता पूर्वक जांच भी करती है लेकिन कई बार मामला संदेहास्पद होता है लेकिन महिला की बात सुनी जाए इसलिए जांच पड़ताल की जाती है। ऐसे मामलो में साक्ष्य के अभाव में आरोपी बरी भी हो जाते है।
प्रश्न- आप अपनी क्या प्राथमिकता पुलिस में रखते है।
जवाब - मेरा प्रयास रहता है पुलिस के जो अपने काम है, उसे समय पर पूर्ण किए जाए। अपराध नियंत्रण प्राथमिकता होती है । यही प्राथमिका अजाक  में रहेगी लेकिन इसके साथ  समाज में दलितो,ं लावारिस बच्चो, निसहारा महिलाओं, विकलांगों की सेवा करना चाहता हूं। पुलिस को अपने कार्य  से हट कर समाज के ऐसे लोगों के प्रति निश्वार्थ भाव से काम करना चहिए चंूकि पुलिस के मामूली प्रयास से ही ऐसे लोगों की बड़ी मदद हो जाती है।  पुलिस को समुदायिक पुलिसिंग करना चाहिए।  


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