प्रकृति के करीब जन्तुओं से लगाते है आदिवासी मौसम की भविष्यवाणी
जबलपुर । जी हां जंगली लाल चीटियों ने इस वर्ष अभी से पेड़ों पर अपने अंडे को सहेजने के लिए घोसला बना लिए है। चीटिंयों की इस हरकत को लेकर आदिवासी और ग्रामीण लोग मौसम की भविष्यवाणी से जोड़ कर देखते है। ये संकेत बताते हैं कि इस वर्ष मानसून समय पर और जोरदार तरीके से दस्तक देगा यानी की जमकर बारिश होगी।
जहां पिछले वर्ष जंगलों तथा शहरी क्षेत्रों में काले चिड्डे बड़ी संख्या में निकले थे जिसको लेकर अनुमान लगाया जा रहा था कि आकाल जैसी स्थिति निर्मित होगी। मानसून ने लगभग आकाल जैसी ही स्थिति निर्मित कर दी थी।
प्रकृति के बेहद करीब रहने वाले जीव जन्तु के संबंध में एक धारणा एवं काफी हद तक वैज्ञानिक आंकलन भी है कि प्राकृतिक आपदाओं एवं घटनाओं का उनका लभगभ पूर्वाभास हो जाता है यानी की वे उन परिस्थितियों से निपटने तैयारी कर लेते है।
जानकारों का कहना है कि आम तथा अन्य पेड़ों में रहने वाली लाल चिटियां अमूममन पेड़ के नीचे ही अपने घर एवं कॉलोनी बनाती हैं लेकिन जब वे पेड़ के पत्तों एवं टहनियों के सहारे अपने घर बनाते है तो समझना चाहिए उस वर्ष जंगली उपज बड़ी मात्रा में होनी है तथा उस वर्ष बारिश भी समय पर और जोरदार तरीके से दस्तक देती है। इस हिसाब से आदिवासियों का अनुमान है आम, तेन्दू तथा अचार आदि की जंगली उपज जोरदार होनी है। इसके संकेत
भी नजर आने लगे है। जंगल प्लास के फूलों से लद गए है जो संकेत देते है कि जल्द ही और समय बारिश भी दस्तक देगी।
वर्जन
आदिवासी एवं पुराने कृषक जीव जन्तुओं की हरकत के हिसाब से ही मौसम का पूर्वानुमान लगाते आ रहे है। इसके हिसाब से ही खेती किसानी की तैयारियां करते रहे है। यह परम्परा वर्षो से आदिवासी समाज में अब भी चल रही है। जानवरों का धूल पर लोटना या चिडियां का धूल से स्नान आदि कई हरकतें मौसम संबंधी भविष्यवाणी से जोड़कर ग्रामीण अब भी देखते हैं।
मनीष कुलश्रेष्ठ
प्राणी विशेषज्ञ
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