नेशनल पार्क एवं अभ्यारण्य मेंं गिनती शुरू
पांच हजार से अधिक कर्मचारी जुटे
जबलपुर। मध्य प्रदेश में पहली बार वन्य प्राणियों की गिनती प्रदेश के 52 वन मंडलों एवं नेशनल पार्क के वन्य कर्मियोंं द्वारा की जा रही है। सभी नेशनल पार्क में 31 जनवरी से गिनती शुरू कर दी गई है जो 5 फरवरी तक चलेगी।
वन विभाग द्वारा कान्हा, पेंच, बांधवगढ, पन्ना, संजय गांधी, सतपुड़ा, भोपाल स्थित वन विहार, सहित 11 नेशनल पार्क एवं अम्यारण्य में गिनती प्रारंभ की गई है जिसमें 5 हजार से अधिक कर्मचारी रखे गए है।
मालूम हो कि इसके पूर्व टाइगरों तथा वन्य प्राणियों की गणना वन्य प्राणी अनुसंधान संस्थान देहरादून द्वारा किया जाता रहा है। प्रदेश में करीब 28 हजार वन्य कर्मियों का भारी भरकम अमला मौजूद है। इसके बावजूद गिनती के लिए बाहर की एजेंसी को बुलवाना पड़ता था। शासन ने इस वर्ष से स्वयं के संसाधनों से गिनती करने का निर्णय लिया। जबलपुर स्थित राज्य वन अनुसंधान केन्द्र को नोडल एजेंसी बनाया गया है। नेशनल पार्क में शाकाहारी एवं मांसाहारी जीव की गणना होकर डाटा यहां पहुंचेगे। इसके बाद दूसरे चरण में 10 फरवरी के बाद वन मंडलों में वन्य प्राणियों की गिनतीहोनी है।
नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों की गणना के कार्य के चलते जहां ट्रांजिस्ट लाइन खींच कर वहां कैमरे आदि लगाए गए है। वहीं वन्य प्राणियों की गिनती के लिए वन कर्मियों के दस्ते नेशनल पार्क एरिया तथा कोर एरिया में घुस रहे है। इसके साथ ही बफर जोन में भी गिनती की जा रही है।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघ कान्हा नेशनल पार्क में है जबकि बांधवगढ़ तथा पन्ना नेशनल पार्क में बाघों का घनत्व बेहद अधिक है। पेंच में बड़ी संख्या मे बाघ ,तेन्दुआ और अन्य शाकाहारी जीव चीतल , सांभर, हिरण, भालू तथा अन्य वन्य जीव पाए जाते है। सतपुड़ा नेशनल पार्क में काले हिरणों की संख्या काफी है। वन्य प्राणियों की गणना सैम्पलिंग प्रणाली से की जाना है जिसके तहत वन्य प्राणियों को भौतिक रूप से देखा जाएगा। इसके अतिरिक्त उनके शरीर में मौजूद चिंह, जानवरों के पग मार्क आदि के सैम्पल दर्ज किए जाएंगे।
जबलपुर में हुआ प्रशिक्षण
वन्य प्राणियों की गणना के लिए राज्य वन अनुसंधान केन्द्र में विभिन्न चरण में वन्य प्राणियों की गणना के लिए देहरादून से आए विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण भी प ्रदान किया जा चुका है। अब देखना यह है कि वन अमले द्वारा की जाने वाली गणना कितनी सटीक होती है।
टाइगर गणना रही है विवाद में
देश में टाइगरों की गणना हमेश विवाद में रही है। जहां एक तरफ टाइगरों की संख्या कई राज्यों में अनावश्यक बढ़ाए जाने के आरोप है यहां तक एनीमेशन से फर्जी वीडियो तैयार करने तक का आरोप लगा है। इसी के चलते मध्य प्रदेश से टाइगर स्टेट होने का दर्जा भी छिन चुका है। अब नई गणना में कितने टाइगर एवं तेन्दुए आते है यह सामने आएंगे।
सर्वाधिक तेन्दुए मौजूद
मध्य प्रदेश के जंगल में सर्वाधिक तेन्दुए पाए गए है। इसके पूर्व हुई गणना में इनकी संख्या 4 हजार से उपर थी। लेकिन जानकारों का कहना है कि तेन्दुआ छिप कर रहने वाला प्राणी है जिसके कारण तेन्दुए की गणना बेहद कठिन और जटिल काम है। यदि सही तरीके से गणना होती है तो प्रदेश में तेन्दुए की संख्या 5 हजार के करीब पहुंच सकती है।
ऐसे होनी है गणना
बताया गया कि पहले तीन दिन मांसाहारी जीवों यानी तेन्दुआ और टाइगर की गणना होगी। इस दोरान अन्य मांसाहारी जीव मिलते है तो उनकी भी गणना होगी। वहीं अंतिम तीन दिन शाकाहारी जीवों की गणना होगी। जंगल में शाम जल्द हो जाती है इसके मद्देनजर गणना े दोपहर 2 बजे के बाद बंद कर दी गई।
वर्जन
सभी पार्को में गणना प्रारंभ कर दी गई है। गणना के कार्य के बाद गणना की समीक्षा की जाएगी।
सीएच मुरली कृष्ण
डायरेक्टर राज्य वन अनुसंधान केन्द्र
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