प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले स ेबिक रहीं नींद की गोलियां
सवा सौ लोगों ने की साल भर में खुदकुशी
जबलपुर। मध्य प्रदेश में आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक हालत पर पहुंचते जा रहे है। औसतन प्रतिदिन दो दर्जन लोग आत्म हत्या कर रहे है। मध्य प्रदेश में पौने चार हजार लोगों ने आत्महत्या की है। नेशनल क्राइम ब्यूरों के आंकड़ो के मुताबिक सर्वाधिक मौते इम्पुल इंजैक्शन के सेवन के कारण हुई है। इस मौतों में केवल ढाई हजार मौत का कारण इम्पुल रहा है। इसके साथ ही नींद की गोली खाकर करीब सवा सौ लोग खुदकुशी कर चुके है।
मध्य प्रदेश में तेजी से आत्महत्याओं का ग्राफ बढ़ा है। इन आत्महत्या के तरीकों पर गौर किया जाए तो लोगों ने सबसे सरल तरीका जहर पीकर खुदकुशी करना लगता है। जानकारी के अनुसार इम्पुल सहित अन्य कीटनाशक पीकर ढाई हजार से अधिक लोगों ने मध्य प्रदेश में खुदकुशी है। इसके अतिरिक्त फांसी लगाकर, ट्रेन से कटकर तथा नदी व कुए में कूद कर जान देने की घटानाएं जहर सेवन से आधी है। जहर सेवन के मामले में नींद की गोली खाकर करीब सवा सौ आत्महत्या वर्ष 2014-15 में की गई है। यह संख्या भी बेहद अधिक समझी जा रही है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले साल राष्ट्रीय की तुलना में शहरों में आत्महत्या की दर ज्यादा थी। जहां मध्यप्रदेश में जबलपुर आत्महत्या के मामलों में शीर्ष पर हुआ करता था अब उसकी जगह भोपाल ने ली है। यहां 1 हजार 64 लोगों ने बीते साल खुदकुशी की। शहरी क्षेत्र में आत्महत्या की दर 12.8 प्रतिशत आंकी गई है।
बिक रहीं प्रतिबंधित दवाएं
बताया गया कि कम्पोज तथा ट्राइका जैसी दवाइयां लगभग बैन कर दी गई है। इसके बावजूद ट्राइका सहित अन्य नींद की दवाइयां प्रदेश भर में मेडिकल स्टोर्स में डॉक्टर पर्चे और बिना पर्चे के आसानी से मिल रही है।
दस से अधिक गोलीनहीं मिलेगी
नियम है कि नींद की तथा नशे से संबंधित गोलियां दस से अधिक डॉक्टर के पर्चे में भी नहंी मिलती है। एक बार कोई पर्चा लिखवाने के बाद चाहे तो अलग अलग मेडिकल स्टोर्स से ये दवाइयां खरीद लेता है। दस की जगह सैकड़ा भी गोली आसानी से खरीद सकता है। इन दवाइयों की बिक्री का कोई रिकार्ड नहंी रखा जा रहा है। जानकारों की माने तो नींद की गोली की पर्चा से दवाई देने के बाद मेडिकल स्टोर्स संचालक को गोली देने की जानकारी पर्चे में दर्ज करनी चाहिए जिससे वह इसी पर्चे से दूसरी जगह गोलियां न खरीद सके।
पचास से अधिक जरूरी
जानकारों की माने तो नींद की गोली खाकर आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को 40-50 गोली खानी पड़ती है तभी उसकी मौत होती है। प्रदेश में करीब सवा सौ लोगों ने नींद की गोला खाकर आत्महत्या की है जिससे जाहिर है कि नींद की गोली मिलना आसान काम है।
इम्पुल प्रतिबंधित
इसी तरह बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के मद्देनजर सल्फास की पूरी तरह खुली बिक्री प्रतिबंधित है। इसके बावजूद किसी भी किराना स्टोर्स में बिना रोकटोक के चूहा मार दवाई के नाम पर सल्फास मिल जाता है। सर्वाधिक आत्महत्या की घटनाएं इम्पुल इंजैक्शन फोड़ कर पीने से हुई है। इम्पुल इंजेक्शन किसी भी कृषि दुकान में बेहद आसानी से मिलता है। नियम यह है कि इम्पुल इंजेक्शन किसानों को हीउपलब्ध कराया जाता है, वह भी ऋण पुस्तिका में इसका उल्लेख करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
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जबलपुर से आगे निकला भोपाल
बीते तीन सालों से जबलपुर पुलिस बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने संजीवनी अभियान चला रही है। दरअसल नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों की वर्ष 2012 की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि जनसंख्या की तुलना करने पर आत्महत्या क दर जबलपुर में देश में नम्वर टू पर है। 2012 में जबलपुर में 1572 आत्महत्याएं हुई थीं ये 45.1 फीसदी था। इसके बाद आॅपरेशन संजीवनी चलाकर आत्महत्या रोकने प्रयास किए गए। अब जबलपुर में आत्महत्या की दर मे मामूली कमी आई है, जबकि भोपाल उपर आ रहा है।
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नशीली दवाई बिक्री के मामले में लोक सभा ने सांसद राकेश सिंह ने प्रश्न भी उठाया था जिस पर लोक सभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक अवैध तरीके से नशे की दवाई बेंचने के मामले में प्रदेश में एक भी मेडिकल स्टोर्स के लायसेंस निलंबित नहीं किए है।
आत्महत्या के मामले में शीर्ष शहर
चेन्नई 2,214
बेंगलुरु 1,906
दिल्ली 1,847
मुंबई 1,196
भोपाल 1,064
वर्जन
मेडिकल स्टोर्स वालों को समय समय पर डॉक्टर की पर्ची के बिना नींद की तथा अन्य प्रतिबंधित दवाइयां न देने चेतावनी दी जाती है और शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की जा रही है।
एमएम अग्रवाल
सीएमएचओ जबलपुर
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