वीरेन्द्र कुमार देसाई
संयुक्त कलेक्टर, जबलपुर
प्रशासनिक कार्य के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि संवाद के हर रास्ते खुले रहने चाहिए। कानून व्यवस्था में कई बार अनेक समस्याएं खड़ी होती है लेकिन संवाद की स्थिति बनी रहे तो समस्याओं का निराकण हो जाता है। यह कहना है संयुक्त कलेक्टर वीरेन्द्र कुमार देसाई का। सन् 1991 के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वे मंडला, रायगढ़, होशंगाबाद एवं जबलपुर जिले मेंं पदस्थ रह चुके हैं। वर्तमान में एसडीएम रांझी के प्रभार में हैं। उनसे पीपुल्स संवाददाता दीपक परोहा से हुई बातचीत के अंश-
* जबलपुर एक संवेदनशील शहर है, यहां किस प्रकार की समस्याएं आती हैं?
** नगर के अनेक इलाके संवेदनशील हैं। सम्प्रदायिक विवाद के साथ लॉ एण्ड आर्डर की समस्याएं हमेशा सामने आती हैं लेकिन इससे मुझे कभी बड़ी असुविधा नहीं हुई चूंकि मैं हर पक्ष से संवाद की स्थिति बनाए रखने पर भरोसा करता हूं और कानून व्यवस्था में आने वाली तमाम बाधाओं को बातचीत के माध्यम से अमूमन हल करता हूं। कम ही कठोर कार्रवाई करने की जरूरत पड़ती है।
* ऐसा कोई यादगार मामला जो आपके लिए चुनौती रहा हो?
** जब मैं पनागर के प्रभार में था तब कब्रिस्तान की भूमि को लेकर दो समुदाय के बीच जबदस्त तनाव की स्थिति निर्मित हुई। यहां तक कि दंगा -फसाद के हालात बन गए थे लेकिन दोनों पक्षों के लोगों को आमने-सामने बैठाकर बातचीत के लिए राजी कर लिया गया और मामला कुछ ही देर में सुलझ गया।
* क्या नवाचार कर रहे हैं?
** शासन द्वारा लोगों के मामले जैसे राशन कार्ड, गरीबी रेखा, जाति प्रमाण पत्र तथा अन्य योजनाएं जो आॅन लाइन निपटाए जाते हैं, उनको तत्काल निराकरण करवाने की कार्रवाई की जा रही है। इससे एक फायदा यह हुआ है कि दफ्तरों में अनावश्यक भीड़ भी नहीं लगती है और दलाली प्रथा से नागरिकों को मुक्ति मिलती है।
* एक प्रशासनिक अधिकारी का कैसा व्यवहार होना चाहिए?
** चाहे किसी भी विभाग का अधिकारी हो, यदि वह प्रशासन के अधीन रहकर काम कर रहा है तो जनता की समस्याओं को सुनना उसकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अधिकारी को अपने अधीनस्थ एवं जनता से हमेशा संवाद बनाए रखना चाहिए ताकि उसे पल-पल की जानकारी मिलती रहे। दूसरा उसका सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए, सकारात्मक नजरिया होने से ऊर्जा मिलती है और ऊर्जा से ही सारे काम होते हैं।
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