Thursday, 14 April 2016

जंगल को डेमज कर रहे हाथी


 नेशनल पार्क में बढ़ती हाथियों की संख्या
जबलपुर। पर्यटन के लिए नेशनल पार्क में हाथी पाले वाले हाथी ही जंगल को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रहे है। वन विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है। दरअसल टाइगरों की नेशनल पार्क में संख्या बढ़ने के साथ इसकी निगरानी ओर गश्त में हाथी का उपयोग किया जा रहा है। इन हाथियों की खुराक की व्यवस्था करने के बजाए वन अमला उन्हें जंगल में ही चरने के लिए छोड़ दिया जाता है और ये हाथी जंगल को भारी नुकसान पहुंचा रहे है।
जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश स्थित पन्ना , बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा के जंगल हाथियों के रहवास के अनुकूल नहीं है। आंध्र एवं छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगल जरूर हाथियों के अनुकूल है।


साल के पेड़ नष्ट हो रहे
मध्य प्रदेश के  जंगल में साल के वृक्षों की संख्या काफी है। साल का पेड़ का तना काफी मुलायम होता है। हाथी अपने बड़े दांतों को साल के पेड़ में गड़ा कर उसकी छाल आदि नष्ट कर रहे है जिससे सॉल के पेड़ सूख रहे है। साल वृक्ष का रस मीठास लिए होता है जो  हाथियों को आकर्षित करता है। ये इसको बुरी तरह नुकसान पहुंचाते है। इसी तरह कम उंचाई वाले वृक्ष जंगल में ज्यादा है जिनको हाथी न केवल चरते हैं बल्कि उनको नष्ट भी कर रहे है।
खुले चरने छोड़ा जा रहा
नेशनल पार्क में हाथियों को पर्याप्त खुराक नहीं दी जाती है। उनको चारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है। पेट भरने के लिए उन्हें चारा खाने जंगल में छोड़ दिया जाता है। अलबत्ता हाथियों को प्रोटिन युक्त खुराक आटा तो दिया जाता है लेकिन इससे उनका पेट नहंी भरता है। पेट भरने के लिए उन्हें पेड़ पत्तियां खाने जंगल में छोड़ दिया जाता है जो बुरी तरह जंगल बर्बाद कर रहे है। हाथियों के पैरों से दबकर जंगल की जमीन पर भी असर पड़ रहा है, मध्य प्रदेश के जंगल के अनेक पौधे एवं झाड़ियां बड़ी संख्या में इन हाथियों के कारण नष्ट हो रही है।

चैन भी नुकसान पहुंचा रही
पालतू हाथियों के पैर पर भारी भरकम चैन बांध कर छोड़ा जाता है जिससे उन्हे खोजा जा सके। ये चैन छोटी वनस्पतियों के लिए कटर की तरह काम कर उन्हें बर्वाद कर रही है।
क्या है उपयोग
नेशनल  पार्क में टाइगर दर्जन के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस पर सवार होकर पर्यटक टाइगर के करीब तक पहुंचते है। इसके अतिरिक्त टाइगर की निगरानी भी वन अमला हाथियों के माध्यम से कर रहा है। हाथी  के नेशनल पार्क में बेजा उपयोग को वन्य प्राणी विशेषज्ञ अनुकूल नहीं मानते है।
तनावग्रस्त होते है टाइगर
हाथी से टाइगर दर्शन नेचरल नहीं है। टाइगर के करीब हाथी जाने से टाइगर टेंशन में आ जाता है और उसके एकांत में भी हस्तक्षेप रहता है। जंगल में टाइगर को खुला छोड़ने से भी दूसरे जानवर अनुकूलता महसूस नहीं करते है। नेशनल पार्क में हाथियों की संख्या सीमित की जाए तथा उन्हें एक बांडे में ही रखना उचित है।
मनीष कुलश्रेष्ठ
प्राणी विशेषज्ञ
कहां कितने हाथी
 नेशनल पार्क  - संख्या
 बांधवगढ़ - 25
पन्ना -  8
सतपुड़ा  -8
कान्हा-  26
संजय  गांधी- 2
पेंच -8

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