दो हाथी को बेहोश करने वाला डोज दिया गया
* नीली आंखों वाले बाघ की मौत रहस्यमय
* रेस्क्यू के बहाने हत्या करने का संदेह
* उच्च स्तरीय जांच की मांग
जबलपुर। बांघवगढ़ टाइगर रिजर्व में रविवार को टैÑंक्यूलाइज के दौरान ओवर डोर से नीली आंखों वाले बाघ की मौत होने की घटना रहस्यमय बनी हुई है। सूत्रों की माने तो बाघ को ट्रैंक्यूलाइजर से इतना तगड़ा बेहोशी का डोज दिया गया कि उतने डोज में दो हाथी बेहोश किए जा सकते थे। किन्तु जांच के नाम पर मामले में लीपापोती कर डाली गई है। अब कोई सबूत मौजूद नहीं है जिससे पता चले कि बाघ को कितने वार शूट किया गया। सूत्रों की माने तो बाघ को 10-10 एमएल के तीन डोज दिए गए जिससे वह एक बार गिरा और हमेशा के लिए ठंडा पड़ गया था।
सूत्रों की माने तो डिप्टी फील्ड डायरेक्टर पर हमला करने वाले बाघ के पीछे वन अमला जबदस्त रंजिश रख रहा था। उसकी तलाश में रैस्क्यू आॅपरेशन इस लिए चलाया जा रहा था कि वह कोर गु्रप से बाहर आ गया था। इस रैस्क्यू आॅपरेशन में फील्ड डायरेक्टर भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार टाइगर को 30 एमएल बेहोशी की दवाई ैंÑक्यूलाइजर से दी गई। इस के बाद एक कर तीन बार एयरगन से शूट किया गया था। जानकारों का कहना है कि 18 एमएल में हाथी बेहोश हो जाता है। सूत्रों का तो कहना था कि डॉक्टर ने इस सीजन में 10 एमएल से ज्यादा का डोज देने से मना कर रखा था लेकिन वन अधिकारियों ने अनसुनी कर दी।
तमाम सबूत नष्ट
नीले बाघ की मौत के मामले में फिलहाल संदेह के दायरे में नेशनल पार्क के कई जिम्मेदार अधिकारी है लेकिन उनके द्वारा ही जांच करने से टाइगर की मौत में हुई लापरवाही के सबूत पूरी तरह मिट चुके है।
कोर एरिया से बाहर आया था
बताया गया कि पिछले दिनों नीली आंख वाले टाइगर की कोर एरिया में में मौजूद एक टाइगर से फाइट हुई थी जिसमें उसका एक पंजा घायल हो गया था। कोर एरिया में ताकतवर टाइगर मौजूद होने के कारण वह बफर एरिया में आ गया था तथा एक मवेशी का शिकार कर उसे खा रहा था तभी वन अमले ने उसे अपना शिकार बना लिया। यह टाइगर फिर से शिकार करने लगा था।
बाघ की उम्र मात्र 7 साल
घटना के बाद यह खबर फैलाई गई कि बाघ की उम्र 13 साल हो गई थी तथा वह वृद्ध और कमजोर हो गया था जिससे ट्रैंक्यूलाइज करने से उसकी मौत हो गई जबकि जानकारों का कहना है बाघ मात्र 7 साल का था और वह 10 एमएल का डोज आसानी से सहन कर सकता था लेकिन उसे 30 एमएल का डोज दिया गया। आखिर ऐसा क्यों किया गया यह रहस्यमय बन गया है? सूत्रों की माने तो बाघ नरभक्षी भी नहंी बना था और न ही अब तक उसने इसके पहले शिकार करने की नीयत से किसी इंसान पर हमला किया था।
वर्जन
बाघ की मौत में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही है। इस मामले में कटघरे में खड़े अधिकारियों द्वारा जांच करने का कोई औचित्य नहीं है। मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
मनीष कुलश्रेष्ठ
* नीली आंखों वाले बाघ की मौत रहस्यमय
* रेस्क्यू के बहाने हत्या करने का संदेह
* उच्च स्तरीय जांच की मांग
जबलपुर। बांघवगढ़ टाइगर रिजर्व में रविवार को टैÑंक्यूलाइज के दौरान ओवर डोर से नीली आंखों वाले बाघ की मौत होने की घटना रहस्यमय बनी हुई है। सूत्रों की माने तो बाघ को ट्रैंक्यूलाइजर से इतना तगड़ा बेहोशी का डोज दिया गया कि उतने डोज में दो हाथी बेहोश किए जा सकते थे। किन्तु जांच के नाम पर मामले में लीपापोती कर डाली गई है। अब कोई सबूत मौजूद नहीं है जिससे पता चले कि बाघ को कितने वार शूट किया गया। सूत्रों की माने तो बाघ को 10-10 एमएल के तीन डोज दिए गए जिससे वह एक बार गिरा और हमेशा के लिए ठंडा पड़ गया था।
सूत्रों की माने तो डिप्टी फील्ड डायरेक्टर पर हमला करने वाले बाघ के पीछे वन अमला जबदस्त रंजिश रख रहा था। उसकी तलाश में रैस्क्यू आॅपरेशन इस लिए चलाया जा रहा था कि वह कोर गु्रप से बाहर आ गया था। इस रैस्क्यू आॅपरेशन में फील्ड डायरेक्टर भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार टाइगर को 30 एमएल बेहोशी की दवाई ैंÑक्यूलाइजर से दी गई। इस के बाद एक कर तीन बार एयरगन से शूट किया गया था। जानकारों का कहना है कि 18 एमएल में हाथी बेहोश हो जाता है। सूत्रों का तो कहना था कि डॉक्टर ने इस सीजन में 10 एमएल से ज्यादा का डोज देने से मना कर रखा था लेकिन वन अधिकारियों ने अनसुनी कर दी।
तमाम सबूत नष्ट
नीले बाघ की मौत के मामले में फिलहाल संदेह के दायरे में नेशनल पार्क के कई जिम्मेदार अधिकारी है लेकिन उनके द्वारा ही जांच करने से टाइगर की मौत में हुई लापरवाही के सबूत पूरी तरह मिट चुके है।
कोर एरिया से बाहर आया था
बताया गया कि पिछले दिनों नीली आंख वाले टाइगर की कोर एरिया में में मौजूद एक टाइगर से फाइट हुई थी जिसमें उसका एक पंजा घायल हो गया था। कोर एरिया में ताकतवर टाइगर मौजूद होने के कारण वह बफर एरिया में आ गया था तथा एक मवेशी का शिकार कर उसे खा रहा था तभी वन अमले ने उसे अपना शिकार बना लिया। यह टाइगर फिर से शिकार करने लगा था।
बाघ की उम्र मात्र 7 साल
घटना के बाद यह खबर फैलाई गई कि बाघ की उम्र 13 साल हो गई थी तथा वह वृद्ध और कमजोर हो गया था जिससे ट्रैंक्यूलाइज करने से उसकी मौत हो गई जबकि जानकारों का कहना है बाघ मात्र 7 साल का था और वह 10 एमएल का डोज आसानी से सहन कर सकता था लेकिन उसे 30 एमएल का डोज दिया गया। आखिर ऐसा क्यों किया गया यह रहस्यमय बन गया है? सूत्रों की माने तो बाघ नरभक्षी भी नहंी बना था और न ही अब तक उसने इसके पहले शिकार करने की नीयत से किसी इंसान पर हमला किया था।
वर्जन
बाघ की मौत में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही है। इस मामले में कटघरे में खड़े अधिकारियों द्वारा जांच करने का कोई औचित्य नहीं है। मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
मनीष कुलश्रेष्ठ
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