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पश्चिम मध्य रेलवे महिला समिति का सराहनीय प्रयास
पांच साल का मासूम राहुल कब और कैसे जबलपुर स्टेशन पहुंच गया, उसको कुछ याद नहीं। कितने बार फूट-फूट कर रोया, कितनी बार भूखा सोया, किसने दया दिखाई और किसने डांटा-पीटा ये भी उसे याद नही। उन कड़वे पल का ये बालक याद नहीं करना चाहता है। वह अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेलता कूदता और पढ़ता है। लावारिस राहुल को आनंदभरा जीवन प्रदान किया है ‘जागृति ’ ने । अपने घर से भटके, अपना नाम ठिकाना भूलने वाले इस मासूमों की देख करने के लिए रेलवे महिला कल्याण समिति ने नवम्बर 2003 से जागृति संस्था प्रारंभ की जो आज भी अपना कार्य कर रही है।
पीपुल्स संवाददाता, जबलपुर। अपने बचपन को जलाकर रेलवे प्लेटफॉर्म में भीख मांगते बच्चों को देख पहले तो रेलवे महिला कल्याण समिति को सामान्य ही लगा। देर से ही लेकिन इन बच्चों के प्रति मानवता जागी और रेलवे महिला कल्याण समिति ने इन बच्चों को गोद लेकर उनका जीवन सवांरने का काम शुरू किया। संस्था की इंचार्ज सुश्री असरीता ने बताया कि बच्चों की पूरी जवाबदारी लेते हुए उनकों आराम से दो वक्त की रोटी और च्च शिक्षा मुहैया कराना उस वक्त आसान नहीं था अत: जागृति संस्था की नींव बेहद छोटे स्तर पर की गई। जागृति केन्द्र में लाए जाने वाले बच्चे वे होते है जो गरीबी और तंगहाली की नारकीय स्थिती में रेलवे प्लेटफॉर्म या इर्द-गिर्द घास-फूस के झोपड़े बनकर रहते है और किसी तरह गुजर-बसर करते है। कहीं तो भिखारियों के परिवार वाले ही अपने बच्चों को इन प्लेटफॉर्म में भीख मांगने और झूठा भोजन बीनने के काम में बचपन से ही लगा देते है, तो
कुछ घर परिवार ओर समाज के बीच से गुम होकर आते है। इन बच्चों को तो पहले समिति ने पहले तो प्लेटफॉर्म में ही भोजन एवं प्राथमिक शिक्षा देना आरंभ किया और बाद में स्थाई निवास और मूलभूत सुविधाएं देने का संकल्प लेते हुए, जागृति संस्था की नींव रखी।
2003 में हुई शुरुआत
रेलवे महिला कल्याण समिति अध्यक्ष श्रीमती ऊषा के अथक प्रयासों के चलते नवम्बर 2003 में प्लेटफॉर्म क्रमांक-1 के पास स्थित कार्यालय से जागृति संस्था ने कार्य करना आरंभ किया था। इन्होंने बताया कि संस्था में 6 से 18 वर्ष तक के बालकों को फ्री निवास, भोजन, शिक्षा के साथ ही साथ बच्चों के कैरियर में भी फोकस किया जाता है, ताकि भविष्य में ये बच्चे एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण कर सकें। समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके। रेलवे महिला कल्याण समिति के तत्वावधान में 2010 से संस्कारधानी की समाजसेवी संस्था जेडीएसएसएस द्वारा जागृति संस्था को चलाया जा रहा है।
नशे के खिलाफ खोला मोर्चा
कोआॅर्डिनेटर ग्लेडविन पॉल ने बताया कि रेलवे प्लेटफॉर्म से संस्था में लाये गये करीब 95 प्रतिशत बच्चे नशे की चपेट में थे। ऐसी भयंकर स्थिती से निपटने संस्था प्रतिदिन शहर के करीब 100 बच्चों को नशे से दूर रहने काउंसलिंग कर रही हैं।
जगह 30 बच्चों के लिए
संस्था में अभी केवल 30 बच्चों को ही रखने की जगह है, जो रेलवे ने उपलब्ध करवाई है। संस्था चाहती है कि शहर में घूमने वाले भिखारी बालकों के कल्याण के लिए भी काम करे। इसके लिए संस्था के सदस्य गोकलपुर बाल संपेक्षण गृह की मदद से शहर के अनेक बच्चों का जीवन भी सवांरने का प्रयास कर रहे है। कोआॅर्डिनेटर ग्लेडविन पॉल ने बताया कि शासन के पास संस्था द्वारा बच्चों के कल्याण हेतु एक प्रोजेक्ट भेजा गया है, जिसका जल्द ही जवाब आने की उम्मीद है।
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