भीषण गर्मी में जंगल में जल स्त्रोत सूखते की स्थिति से निपटने कबायद
दीपक परोहा
जबलपुर। ये इंसानियत है कि बैशाख की भीषण गर्मियों में जल स्त्रोत सूखने पर सदियों से परिदों एवं पालतू मवेशियों का इंसान पानी देता रहा है, उन्हें दाना डालता है, किन्तु वन अमला कुछ अलग कर रहा है। वन्य प्राणियों तक जंगल में पानी पहुंचाया जाएगा। भीषण गर्मी में उनके कंठ तर किए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग ने सभी सीसीएफ को निर्देश दिए है। इतना ही नहीं वन विभाग के पास स्वयं का बजट होता है जिससे वे ये काम कर सकते है। जबलपुर वन मंडल परिक्षेत्र में इस पर काम भी शुरू हो गया है।
एक दौर था कि इंसान ने वन्य प्राणियों का अखेट कर जंगलों में वन्य प्राणियों की तादात बेहद कम कर दी। प्रकृति के संतुलन एवं इको सिस्टम से खिलवाड़ किया लेकिन अब वन्य प्राणियों का शिकार पूर्ण प्रतिबंधित है। लोगों में वाइल लॉइफ के प्रति विशेष लगाव बढ़ा है और वन अमला भी वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए बेहद चौकन्ना है।
गर्मी में बेमौत मरते है वन्य प्राणी
प्रदेश के जंगल में जब जंगल के भीतर जल स्त्रोत सूखते है तो पानी की तलाश में वन्य प्राणी जंगल के बाहर के जल स्त्रोत में आते हैं और इस दौरान घात लगाए शिकारी गिरोह उनको अपना निशाना बनाते है। इसके अतिरिक्त इंसानी जल स्त्रोत में वे दुर्घटना के शिकार भी होते है। इसके अतिरिक्त सड़कों में वन प्राणियों की मौत होती है। इसको ध्यान में रखकर ही वन्य प्राणियों के जंगल के निकट ही कृत्रिम जल स्त्रोत उपलब्ध कराए जा रहे है।
जंगल में पहुंचाया जा रहा पानी
जंगल में जहां तक वन अमले की पहुंच है वहां टेंकरों के माध्यम से सूख कुंड और पोखरों में जल भरा जाता है इसके लिए वन अमले ने टेंकरों का भी प्रबंध किया है।
जबलपुर में हुए कई घटनाएं
जबलपुर वन परिक्षेत्र से होकर बरगी नहर गुजरती है। गर्मियों में अनेक घटनाएं हो चुकी है कि नहर में वन्य प्राणी गिरकर बुरी तरह जख्मी हुए और मारे गए। वन विभाग ने अपने सुरक्षा कर्मियों एवं वन्य रक्षा समितियों आदि की मदद से नहर के पास ही पुरानी टंकियां में पानी भरकर रखना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही गड्ढे भी तैयार किए गए है जिसमें पानी भरा जाता है। इन गड्ढें की तलहटी में काली मिट्टी रहती है जिससे पूरा पानी जमीन के नीचे न जा पाए।
वर्जन --
जंगल में पानी की कमी होने पर उन्हें जंगल से बाहर आने से रोकने के उद्ेश्य से ही जंगल तक पानी पहुंचाया जा रहा है। जबलपुर के जंगल में इस वर्ष सूखे के कारण प्राणियों को संभवत: बाहर नहीं आना पड़ेगा।
एचएस मोहन्ता
सीसीएफ जबलपुर
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