Wednesday, 6 April 2016

रोज कसौटी पर कसी जाती है देश भक्ति और राष्ट्रसेवा

रोज कसौटी पर कसी जाती है
 देश भक्ति और राष्ट्रसेवा 
* सुरेन्द्र पॉल सिंह डाबर 
सीएसपी अधारताल   

 *अधारताल पुलिस संभाग जबलपुर के सीएसपी सुरेन्द्र पाल सिंह डाबर का कहना है कि पुलिस को रोज चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जनसेवा राष्ट्र-भक्ति की जो शपथ पुलिस वाले लेते हैं, उसे रोज कसौटी में कसा जाता है। इस पुलिस संभाग में बहुत बड़ा इलाका संवेदनशील है जिसमें पुलिस को निष्पक्षता के साथ साथ समाजिक सद्भाव का माहौल बनाए रखने लगातार प्रयास करने पड़ते है। 
आप 2006 बैंच के प्रदेश पुलिस सेवा के अफसर है। पहली पोस्टिग छिंदवाड़ा जिले में हुई थी। इसके बाद सागर के देवरी एसडीओपी का प्रभार मिला और  वहां 2009 से 2011 तक पदस्थ रहें। जुलाई 2011 में वारासिवनी एसडीओपी का प्रभार संभाला। इसके उपरांत यहां डीएसपी ग्रामीण , सीएसपी गोहलपुर तथा वर्तमान में 25 नवंबर 2014 से  सीएसपी अधारताल पदस्थ हैं। श्री डाबर से हुई पीपुल्स संवाददाता की बातचीत।  

प्रश्न- गोहलपुर-अधारताल संभाग के विभाजन से क्या सुधार आया है।
उत्तर- पूर्ववर्ती गोहलपुर संभाग में दो नए थाने जोड़े गए थे। इसके मद्देनजर संभाग का विभाजन किया गया था। इस विभाजन से सभी थानों में बेहतर तरीके से सुपरविजन हो रहा है। इसी तरह लॉ एण्ड आर्डर की स्थिति में पुलिस त्वरित कार्रवाई करने में मजबूत हो गई है।
प्रश्न-क्षेत्र कितने संवेदनशील थाने हैं और उनमें क्या चुनौती रहती है।
उत्तर-अधारताल संभाग में अधारताल थाना के दो इलाके संवेदनशील है। जहां समुदायिक सद्भाव बनाए रखने सारे प्रयास किया जाते है। चुनौती मानते हुए हम लगातार मीटिंग बुलाते है, पुलिस एवं जनता के बीच सतत संकर्प रखा जात है। मोहल्ले में जाकर लोगों से पुलिस वाले चर्चा करते है। सभी समाज के लोगों को एक साथ बैठाकर चर्चा करते हैं। एकता एवं सद्भाव इलाके में बना रहे
 इसके लिए लगातार प्रयास करने पड़ते है। सबसे ज्यादा संवेदनशील मोहल्ला   कटरा है। वहां पर मोहल्ला समिति बना दी गई है जो पुलिस का हमेशा सहयोग देती है।
प्रश्न- मौजूदा स्टाफ की कमी के संबंध में क्या कहना है, यदि कमी है तो उसका प्रभाव पुलिसिंग में न पड़े इसके लिए आप क्या करते हंै।
उत्तर- यदि देखा जाए तो आठ हजार की जनसंख्या में औसतन एक पुलिस कर्मी है। ऐसे में हमे बीट प्रणाली से लाभ मिलता है। जिसके कारण बल की कमी का असर नहीं दिखता है। इलाकों में पुलिस के सीओजी नंबर डिस्पले कराए गए है। हमे तत्काल घटना की सूचना मिलती है। जिससे हम पुलिस की कमी को मैनेज कर लेते है। बीट प्रणाली के कारण इलाके में निरंतर पुलिस बनी रहती है। जिससे कमी का एहसास नहीं होता है। समय-समय पर अतिरिक्त बल की मांग भी की जाती है।
प्रश्न- सीएसपी- टीआई , टीआईऔर एसआई के बीच तालमेल की कमी हमेशा चर्चाओं में रहती है। संभाग क्या स्थिति में है।
उत्तर- संवाद निरंतर बना रहे तो आपस में तालमेल ठीक रहता है। मैंने अपने संभाग में ऐसा ही कर रखा है। रोज सुबह हम लोग आपस में चर्चा करते है। इसी तरह टीआई अपने एसआई से निरंतर चर्चा करते है। इससे आपसी तालमेल की दिक्कत काम में नहीं आती है।
प्रश्न- निचले स्टॉफ पर  जुआरी - सटोरिया को संरक्षण देने की शिकायत आम रहती है। आप इस पर अकुंश लगाने क्या कर रहे है।
उत्तर- निचले स्टॉफ की शिकायत मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाती है। इस संभाग मे सट्टा- जुआ की सामाजिक बुराई तो है ही लेकिन उसपर अंकुश लगाने पूरे प्रयास किए जा रहे है। मेरे पास भी शिकायतें आती है तथा मैने  स्टॉफ को चेतावनी दे रखी है कि शिकायत मिलेगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रश्न- संभाग में पुलिसिंग बेहतर बनाने क्या किया है और क्या करने का विचार है।
उत्तर- वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में माइक्रो बीट सिस्टम को पूर्ण रूप से कराया जा रहा है। बीट कर्मी  मोहल्ला में जाकर बैठक ले रहे है। वर्तमान में साइबर क्राइम बढ़ रहा है उसकी जानकारी लोगों की दी जा रही है। हमारे संभाग में पनागर ग्रामीण थाना है। वहां हर गांव में पुलिस को भेजना सभंव नहीं है तो वहां पर नंबरो के डिस्पले किए गए है।  हर सप्ताह प्रत्येक गांव जाकर पुलिस कर्मी बैठक लेते हे। मेरा प्रयास है कि ाम लोगों को पुलिस को अपना दोस्त समझे।
 प्रशन - कोई यादगार केस बताएं?
 उत्तर -मैं जब बालाघाट के वारासिवनी एसडीओपी के पद पर पदस्थ था, उस समय एक ही परिवार के चार सदस्य गायब हो गए थे। रिपोर्ट आने पर तत्काल पतासाजी की गई और सीडीआर के माध्यम से उसी गायब बच्चों की सौतली मां के बेटे से पूछताछ की गई तो उसने पूरा राज खोला और नदी के किनारे रेत के अंदर से चार लाश बरामद की गई थी। एक साथ चार कत्ल के मामले को ं चार दिन में ही खोल लिया गया था लेकिन रात और दिन की कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली थी। 
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