Thursday, 14 April 2016

मध्य प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा के पर्यावरण से खिलवाड़

अरबों रूपए की रेत खनन कर रहा माफिया


 अरबों रूपए की अवैध रेत निकल रही
 शासन प्रशासन के तमाम प्रयास फेल
जबलपुर। प्रदेश भर में रेत माफिया बेलगाम है। न्याय पालिका के आदेशों एवं विपक्ष के शोर शराबे के बावजूद अब तक रेत माफिया पर कोई नकेल शासन नहीं कस पाया है। पूरे प्रदेश में रेत के ठेके भी आॅन लाइन किए गए लेकिन इसके बावजूद अवैध रेत खनन लगातार जारी है। नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों से अरबों रूपए की अवैध रेत निकल रही है। इस कारोबार में आड़े आने वाले को गोली मार दिया जाना बेहद मामूल बात हो चुकी है। हाल ही में जबलपुर-नरसिंहपुर मे एक सप्ताह के अंतराल में रेत माफियों के बीच गोलीबारी की दो संगीन वारदातें हो चुकी है।  रेत माफिया का दबदबा ऐसा है कि निचले स्तर के अफसर तो रेत खदान की ओर रूख भी नहंी कर रहे है।
  रेत माफिया के लिए दो माह गोल्डन पीरियड रहा है। अप्रैल और मई गर्मी के इन दो महीनों में नदी का जल स्तर कम होने पर रेत माफिया पूरी नदी को मशीन लगाकर अरबों रूपए की रेत का अवैध खनन किया। नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों के पर्यावरण से जबदस्त तरीके से खिलवाड किया गया है। सिर्फ जबलपुर जिले में ही इन दो महीने करीब 36 लाख रूपए का जुर्माना अवैध खनन के मामले खानापूर्ति के चलते पकड़े गए है।
एनजीटी के आदेश नजर अंदाज
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की युगल पीठ ने हाल ही मे समाजसेवी विनायक परिहार की  जनहित याचिका पर अपने एक महत्वपूर्ण फैसले मे नरसिंहपुर जिले मे नर्मदा और सहायक नदियों में हो रहे अवैध उत्खनन को तत्काल रोकने हेतु प्रदेश शासन के माध्यम से नरसिंहपुर जिला कलेक्टर को निर्देशित भी किया है।

 पर्यावरण का खतरा
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी एनएस द्विवेदी का कहना है कि जिस तरीके से रेत खनन नर्मदा एवं उसकी सहायक नदी में किया जा रहा है, उससे नर्मदा के पर्यावरण के लिए जबदस्त खतरा है। लिए जाने से रेत में रहने वाले जंतु एव सूक्ष्म जीव खत्म हो रहे है जिससे नर्मदा के पानी को खतरा है। खनन से नदी का प्राकृतिक प्रवाह भी बिगड़ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल अपने एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर रहा है।

कोई निर्देश मायने नहीं
 मध्य प्रदेश खनिज विभाग ने नर्मदा नदी की सहायक नदी हिरन में रेत खनन के लिए करीब 53 घाटों को प्रतिबंधित कर रखा है। दरअसल ये घाट पानी भराव वाले इलाके है लेकिन इन गर्मियों के मौके पर मशीनें लगाकर रेत माफिया ने पूरे घाटों को खोखला कर डाला है। हिरन नदी में जबदस्त तरीके से रेत निकासी का परिणाम है कि हर वर्ष बारिश में हिरन की बाढ़ तबाही बरपाने लगी है। अदालत एवं शासन प्रशासन के आदेश के बावजूद  नदियों को बचाने के लिए रेत माफिया की पोकलेन मशीनो के पहिए नहीं रोके जा सके है। जब कभी रेत माफिया के खिलाफ किसी ने सिर उठाया है तो उसको गाली खानी पड़ी है। जबलपुर में ही एक सब इस्पेक्टर की बेलखेड़ा क्षेत्र की खदान में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। मुरैना के आईपीएस नरेंद्र कुमार को कुचलकर मार दिए जाने का मामला किसी से छिपा नहीं है। जबलपुर, नरसिंहपुर और होशंगाबाद के रेत घाटों एवं रेत नाकों में आए दिन खजिन अमला और कभी कभी पुलिस पिटती रही है। इस खून खराबे के बीच में रेत की लूट में अफसर नेता और बाहुबली की सांठगांठ भी छिपी नहंी है। राजनेताओं के साझे में खनन कंपनिया पूरे प्रदेश में काम कर रही है।
 


 झांसीघाट कुख्यात
जबलपुर में बरगी बांध बनने के बाद से रेत की उपर से आमद कम हो  गई है। जमतरा ,ग्वारीघाट और तिलवाराघाट और लम्हेटा में लगभग रेत पूरी तरह खत्म हो चुकी है। ये घाट प्रतिबंधित किए गए है लेकिन अब इसमें रते भी नहीं बची है। यहां रेत माफिया ने अब जमतरा पुल, तिलवारा पुल के नीचे तक की रेत निकाल कर पुल के लिए खतरा बन गए है। रेत का असल भंडारण झांसी घाट में है। यहां प्रतिबंधित कुछ क्षेत्रों में खनन चल रहा है। हाल ही में रेत माफिया की आपसी लाई में एक जान भी जा चुकी है। यहां अवैध उत्खनन पर रोक के बावजूद खनन बदस्तूर चल रहा है। नरसिंहपुर के  पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष महंत प्रीतम पूरी, संजीव चंदोरकर और विनायक परिहार के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधि मण्डल ने जिला कलेक्टर से मिल चुका है लेकिन प्रशासन रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन रोकने में असफल है।

 इन घाटो में अवैध खनन
नर्मदा के सगुनघट, ककरा घाट, झिकोली घाट, मुगार्खेडा, घाट पिपरिया, नीमखेड़ा, झांसीघाट, वीर कटंगी, रामघाट, बरमानघाट सहित दर्जनों प्रतिबंधित घाटों में अवैध खनन जारी है।
ये है विसंगतियां
उत्खनन कार्य के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों और डंपरों का प्रयोग पर रोक है। नदी के भीतर सैक्शन पंप एवं नाव से ही रेत निकासी की जाएगी, लेकिन नदी में मशीन लगाकर धारा बदल कर रेत खोदी जा रही है। झाँसी घाट में एनएच 216 के पुल के नीचे रेत खोदी जा रही है। रेल ब्रिज भी अवैध खनन से खतरे में आ गया है। मध्य प्रदेश की राज मछली महाशीर विलुप्त होने की कगार में है। जलबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद, और सीहोर जिलो मे नर्मदा और सहायक नदियों मे हो रहे अवैध उत्खनन की जांच के प्रति प्रशासन बेखबर है।

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