पमरे में कई ट्रेंने दौड़ रही बायो फ्यूल से
जबलपुर। बायो फ्यूल (रतनजोत से निर्मित आइल) का रेल चलाने के रेलवे के पुरानी कोशिश को अब जाकर सफलता मिलती नजर आ रही है। पश्चिम मध्य रेलवे ने प्रयोग के तौर पर लोकोशेड इटारसी में करीब आधा दर्जन से अधिक इंजनों में डीजल के साथ बायो फ्यूल मिलाकर ट्रेने चलाना प्रारंभ की है। इसके पीछे जहां पेट्रोलियम पदार्थ की खपत कम करना है तथा दूसरी तरफ बायो फ्यूल को बढावा देना है।
रेल इंजन बायो फ्यूल से चलाने की योजना लम्बे अर्से से रेलवे के पास लम्बित हैं लेकिन अब तक बायो फ्यूल का सफल उपयोग नहीं हो पाया है। बायो फ्यूल से इंजन की क्षमता पर प्रतिकूल असर महसूस किया गया है। बायो फ्यूल जहां डीजल से सस्ता पड़ता है। रेलवे व्यापक पैमाने में बायो फ्यूल का इस्तेमाल करना चाहती है। इसके चलते पश्चिम मध्य रेलवे ने बायो फ्यूल का इस्तेमाल शुूर हकर दिया है।
जानकारी के मुताबिक इटारसी लोकोशेड में इंजनों में डीजल भरते समय करीब 5 प्रतिशत बायो फ्यूल इस्तेमाल कर रहा है। रेलवे सूत्रों की माने तो डीजल में पांच प्रतिशत बायो फ्यूल मिलाए जाने के बाद जब ट्रेनें चलाई गई तो उसकी गति पावर सहित अन्य किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आई है। रेलवे ने बायो फ्यूल मिलाए जाने पर इंजन को लेकर जो अध्ययन किया है, वह रिपोर्ट पॉजिटिव आई है जिससे रेलवे उत्साहित है। जल्द ही जबलपुर रेल मंडल के अधीन कटनी स्थित लोकोशेड में भी डीजल की आपूर्ति के दौरान 5 प्रतिशत बायो फ्यूल का उपयोग किया जाएगा। हाल ही में पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ने इंजनों में बायो फ्यूल का इस्तेमाल प्रयोग के तौर पर करने का खुलासा भी किया है।
पश्चिम मध्य रेलवे जोन ने कुछ इंजनों में 5 प्रतिशत बायो फ्यूल का इस्तेमाल प्रयोग के रूप पर शुरू किया है। इसका लगातार अध्ययन किया जा रहा है। यदि यह प्रयोग पूर्णत: सफल होता है तो बायो फ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है।
पी. माथुर
सीपीआरओ पमरे
No comments:
Post a Comment