बालाघाट में नक्सलियों से निपटने
और तेज कर रही पुलिस मुखबिर तंत्र
*गुप्त सैनिकों का पूरी तरह जासूस की भूमिका में लाएगी पुलिस
जबलपुर। बालाघाट में काफी अरसे से थमी नक्सली मूवमेंट कुछ महीनों से तेज हो गई है। नक्सली जहां पुलिस के मुखबिर तंत्र को खत्म करने जहां पिछले दिनों पुलिस के एक मुखबिर की हत्या कर मुखबिरों के बीच सनसनी फैला दी लेकिन पुलिस नक्सलियों की इस रणनीति को पलटवार जवाब देने रणनीति तैयार कर चुकी है। यहां पुलिस गुप्त सैनिक की नक्सली प्रभावित इलाकों में कर रही है। ये गुप्त सैनिक जासूस की भूमिका में मैदान में उतारे जा रहे है। ।
सूत्रों का कहना है कि बालाघाट पुलिस को शासन ने करीब 300 गुप्त सैनिक दे रखे थे लेकिन ये पुलिस के सहायक बने हुए थे, उनसे दफ्तरों में बल की कमी के कारण काम लिया जा रहा था किन्तु अब इन गुप्त सैनिक को प्रशिक्षित जासूस की तरह मैदान में उतारने की रणनीति पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है।
अब आदिवासी के बीच रहेंगे
ये गुप्त सैनिक अब धोती और बंडी में आदिवासियों के बीच उनकी तरह नजर आएंगे। आदिवासियों की तरह नाम रखकर उनके बीच घुलमिल कर रहने वाले ये सैनिक दरअसल पुलिस के जासूस होंगे। जिनका काम नक्सलियों के गांवों में आगमन, उनके करीबी लोगों की खैर खबर रखने के बाद पुलिस को सूचना देते रहेंगे।
पहले से है
सूत्रों की माने तो बालाघाट में गुप्त सैनिकों की पहले से तैनाती की गई लेकिन इसके बावजूद पुलिस को नक्सली मूवमेंट की सटीक जानकारी नहंी मिल पा रही थी। पुलिस को जो नक्सलियों की जानकारी मिलती रही है वे उनके अपने मुखबिर यानी आदिवासी ग्रामीणों से मिलती रही है और नक्सली सबसे पहले उन्हें ही निशाना बना रहे है। इसके जवाब में गुप्त सैनिकों को उनके कार्य के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।
जंगलों में हर राह खतरा
पुलिस ने गुप्त सैनिकों की मदद से जंगलों मे नक्सलियों कीे आने जाने के गुप्त मार्गो का नक्शा तैयार कर लिया है। उनको किस गांव में शरण मिल सकती है। इस तमाम जानकारी के बाद वहां पुलिस ने घात लगाकर बैठ गई है।
और तेज कर रही पुलिस मुखबिर तंत्र
*गुप्त सैनिकों का पूरी तरह जासूस की भूमिका में लाएगी पुलिस
जबलपुर। बालाघाट में काफी अरसे से थमी नक्सली मूवमेंट कुछ महीनों से तेज हो गई है। नक्सली जहां पुलिस के मुखबिर तंत्र को खत्म करने जहां पिछले दिनों पुलिस के एक मुखबिर की हत्या कर मुखबिरों के बीच सनसनी फैला दी लेकिन पुलिस नक्सलियों की इस रणनीति को पलटवार जवाब देने रणनीति तैयार कर चुकी है। यहां पुलिस गुप्त सैनिक की नक्सली प्रभावित इलाकों में कर रही है। ये गुप्त सैनिक जासूस की भूमिका में मैदान में उतारे जा रहे है। ।
सूत्रों का कहना है कि बालाघाट पुलिस को शासन ने करीब 300 गुप्त सैनिक दे रखे थे लेकिन ये पुलिस के सहायक बने हुए थे, उनसे दफ्तरों में बल की कमी के कारण काम लिया जा रहा था किन्तु अब इन गुप्त सैनिक को प्रशिक्षित जासूस की तरह मैदान में उतारने की रणनीति पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है।
अब आदिवासी के बीच रहेंगे
ये गुप्त सैनिक अब धोती और बंडी में आदिवासियों के बीच उनकी तरह नजर आएंगे। आदिवासियों की तरह नाम रखकर उनके बीच घुलमिल कर रहने वाले ये सैनिक दरअसल पुलिस के जासूस होंगे। जिनका काम नक्सलियों के गांवों में आगमन, उनके करीबी लोगों की खैर खबर रखने के बाद पुलिस को सूचना देते रहेंगे।
पहले से है
सूत्रों की माने तो बालाघाट में गुप्त सैनिकों की पहले से तैनाती की गई लेकिन इसके बावजूद पुलिस को नक्सली मूवमेंट की सटीक जानकारी नहंी मिल पा रही थी। पुलिस को जो नक्सलियों की जानकारी मिलती रही है वे उनके अपने मुखबिर यानी आदिवासी ग्रामीणों से मिलती रही है और नक्सली सबसे पहले उन्हें ही निशाना बना रहे है। इसके जवाब में गुप्त सैनिकों को उनके कार्य के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।
जंगलों में हर राह खतरा
पुलिस ने गुप्त सैनिकों की मदद से जंगलों मे नक्सलियों कीे आने जाने के गुप्त मार्गो का नक्शा तैयार कर लिया है। उनको किस गांव में शरण मिल सकती है। इस तमाम जानकारी के बाद वहां पुलिस ने घात लगाकर बैठ गई है।
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