अर्चना भटनागर सैकड़ों महिलाओं को बनाया उद्यमी
जबलपुर। मध्य प्रदेश महिला उद्यमी केन्द्र की अध्यक्ष अर्चना भटनागर ने जहां महिला उद्यमियों में अपना स्थान प्रदेश में बनाया है, वहीं उन्होंने सैकड़ो महिलाओं को मावे के माध्यम से उद्योग के लिए प्रशिक्षित कर उन्हे उद्यमी महिलाओं की श्रेणी में लाया है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि उद्योग स्थापना की ललक लेकर सन 1978 में मुम्बई से जबलपुर आई अर्चना भटनागर को अपना कैमिकल्स उद्योग स्थापना के पूर्व पूंजी के नाम पर सिर्फ शून्य था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी दम पर कैमिकल्स इंडस्ट्री खड़ी कर ली जिसमें 80 से अधिक उत्पाद तैयार किए जा रहे है और करोड़ा रूपए का टर्न ओव्हर है।
महिला उद्यमी अर्चना भटनागर जब 1978 में उद्योग क्षेत्र में आई थी तब शायद ही कोई महिला हो जो उद्योग कर रही थी। अर्चना दरअसल मूलत: पूना निवासी थी। वे कमैस्ट्री आनर्स करने के बाद फिल्मी दुनिया में रिपोटिंग का काम कर रही थी। इसके साथ डाकेमेंट्री फिल्म आदी तैयार किया करती थी। उनका विवाह जबलपुर निवासी अरूण भटनागर के साथ हुआ। पति पत्नी दोनों मुम्बई मे रहत रहे थे। उनका बड़ा बेटा उन दिनों एक वर्ष का भी नहीं हुआ था। इस दौरान उनके पति ने उन्हे सलाह दी कि उन्हें कैमेस्ट्री की पढ़ाई का फायदा उठाते हुए अपना कैमिकल उद्योग शुरू करना चाहिए और ये मुम्बई में संभव नहीं है अरूण भटनागर ने अपनी पत्नी को अपने जबलपुर स्थित निवासी पर भिजवा दिया जहां उनके माता पिता रहते थे। किसी तरह 500 रूपए उधार लेकर बैंक खाता खोला। कुछ 30 हजार रूपए बैंक से कर्ज लेने के लिए 30 लाख की सम्पत्ति बैंक में गिरवी रखनी पड़ी। बैंक कर्मी भी महिला उद्वमी पर भरोसा नहीं करते थे। बिना पति के हस्ताक्षर के एकाउंट से रूपए नहीं निकलते थे। उन्होंने घर में एक कमरे में एक कर्मचारी को रखकर ब्रोमाइड बनाना शुरू किया जो फोटोग्राफी में काम आता था। इसके उपरांत प्रिटिंग वर्क में काम आने वाले कैमिकल्स बनाना शुरू किया। हिम्मत उन्होंने नहीं हारी। फिल्म एवं प्रिंटिंग व्यवसाय में कैमिकल्स का उपयोग कम हुआ तो उन्होंने घरेलू उद्योग के कैमिकल्स बनाना शुरू किया। शुरूआती दौर में स्वयं रिक्शा में माल लदवाकर फैक्ट्री और दुकानों तक पहुंचाती थी। उन्होंने कई बार व्यवसाय में आने वाली आर्थिक गिरावट का दौर भी देखा। वर्तमान में रिझाई मेंं उनकी इड्रस्ट्रीज में ग्रीन कैमिकल्स (एक प्रकार का हरवल रसायन) तैयार किया जा रहा है। करीब 80 प्रोडक्ट तैयार हो रहे है और पूरे भारत वर्ष के अलावा विदेश में जा रहे है। उनका बड़ा पुत्र नितिन हाल ही में पूना से कैमिकल इंजीनियरिंग कर जबलपुर आ गया है और अब मां का हाथ बंटा रहा है।
वर्जन
उद्योग में आने के पूर्व अपने शुरूआती खर्च को नियंत्रित रखा जाए तो काफी लाभ होता है। महिला होने के कारण मैने पुरूष वर्ग के क्षेत्र दखल के कारण जिन परेशनियों का सामना किया। उससे निपटने के लिए उद्वमी महिलाओं को मावे संस्था के माध्यम से प्रशिक्षित कर उद्योग धंधे के लिए तैयार कर रहीं हूं।
अर्चना भटनागर
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