दीपक परोहा
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जबलपुर। ‘बानो’ को कोई दुत्कारे, झिड़के या पत्थर मारे लेकिन वह हर एक इंसान से बेहद मोहब्बत करती है। इन्सान की मौत पर उसको गहरा दुख होता है। बानो बड़ी मदार टेकरी कब्रिस्तान के समीप शरीफ होटल के पीछे रहती है। इंतकाल के बाद जब भी कोई जनाजा कब्रिस्तान जाने के लिए आता है तो दुखी लोगों के साथ वह भी गम बंटाने शरीक होती है। शवयात्रा के पीछे-पीछे चलते वक्त तो कभी-कभी उसकी आंखों में आंसू भी झरते नजर आते हैं। शव के सुपुर्दे खाक होने के बाद वह लौट आती है।
यह किस्सा किसी औरत का नहीं बल्कि ‘बानो’ नाम के एक श्वान का है। यूं भी जानवरों में कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो मनुष्य के बेहद करीबी और उसके सुख-दुख के प्रति संवेदनशील रहता है। पालतू जानवरों में भी कुत्ता सर्वाधिक वफादार प्राणियों में एक है लेकिन कुत्ते का स्वभाव होता है। वह अपने मालिक के प्रति वफादार होता है। मालिक के इशारे पर ही अपने पराए इंसान की पहचान करता है। लेकिन ‘बानों’ कुछ अलग किस्म की है। इसके स्वभाव ऐसा है जैसे वह पूरी मानवता को अपने स्नेह में समेट रखे हो।
‘बानो’ को मंडी मदार टेकरी चौक में लोग पिछले 4-5 साल से देख रहे हैं। और इसके इस स्वभाव से भी वाकिफ हैं। लोग आश्चर्य चकित भी हैं कि आखिर बानो हर किसी की शवयात्रा में क्यों शामिल होती है? मुस्लिम समुदाय में कुत्तों को नापाक जीव माना जाता है। सुपुर्देखाक करने का संस्कार पूरी पवित्रता के साथ किया जाता है। इस दौरान नापाक जीव के स्पर्श से ही व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है। ऐसा लगता है कि ‘बानो’ इससे वाकिफ है। शव यात्रा में शामिल लोगों से वह दूरी बनाकर चलती है। आज तक उसने शवयात्रा में शामिल होने के बावजूद किसी को स्पर्श नहीं किया। उनकी शुद्धता का खयाल रखा है। क्या ‘बानो’ जनाजा दफन करने का मतलब जानती है? बानों का अन्य श्वानों से अलग स्वभाव क्यों हैं? ये अनबुझी पहेली और प्राणियों के विचित्र व्यवहार की मिसाल है, जिसको शायद अब तक मानव नहीं समझ सका है।
प्राणियों में मौजूद परा क्षमता ही कहा जा सकता है।
वर्जन
मेरी दुकान कब्रिस्तान के सामने ही है और मैंने हमेशा देखा है कि शव यात्रा के दौरान बानो मौजूद रहती है तथा वह कब्र तक पहुंचती है और वहां कुछ देर रहने के बाद चली जाती है।
बबलू कुरैशी
कुत्तों में अतेन्द्रीय क्षमता के कई मामले देखे गए हैं। इस श्वास में अलग स्वभाव है। बिना इसका अध्ययन किए कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन कुत्ता पीढ़ियों से आदमी का निकट रहा है। उसके स्वभाव में मानव के प्रति सुखदुख के भाव होना स्वभाविक है।
मनीष कुलश्रेष्ठ
प्राणी विशेषज्ञ
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