थानेदार से सीएसपी बने अनिल वैद्य का आमजन से सीधा संपर्क
विधि का ज्ञान और लिखा-पढ़ी में बेजोड़ दक्षता रखने के लिए प्रदेश के विख्यात पुलिस अधिकारियों में पहचाने जाते हैं सीएसपी कोतवाली अनिल वैद्य। म.प्र. पुलिस के सन् 1978 बैच के अधिकारी हैं। वे पुलिस विभाग में उपनिरीक्षक के पद से भर्ती हुए थे। पुलिस इंस्पेक्टर रहते हुए उनके द्वारा अनेक बड़े मामले सुलझाए गए, जिसकी ख्याति पूरे प्रदेश में रही। उनकी योग्यता और दक्षता के कारण जिले के पुलिस कप्तान आंख बंद कर भरोसा करते रहे हैं। इतना ही नहीं उनके इस कौशल की वजह से पुलिस मुख्यालय द्वारा कई बार अनेक स्पेशल इनवेस्टिगेशन में उन्हें लगाया गया। आज भी नगर के सीएसपी वर्ग में उनकी वरिष्ठता और अनुभव का लाभ जबलपुर पुलिस उठा रही है। उनकी खासियत ये है कि आम जनता से सीधा सम्पर्क होता है और जहां बात लाठी से भी न बन पाए वहां उनकी मीटी जुबान से बन जाती है। जिससे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ भी हमेशा ऊंचा रहा है।
* कहां-कहां पर पदस्थापना रही ?
उत्तर- मैं प्रशिक्षु उपनिरीक्षक के रूप में नरसिंहपुर जिले में रहा तथा सब इंस्पेक्टर के रूप में जबलपुर जिले में कई साल पदस्थ रहा। सन् 1990 में इंस्पेक्टर के रूप में पदोन्नति उपरांत जबलपुर मैं कोतवाली, ओमती, लार्डगंज, गढ़ा, मदनमहल, भेड़ाघाट, बरगी, शहपुरा, पाटन, पनागर, बालाघाट कोतवाली, छिंदवाड़ा कोतवाली, कटनी कोतवाली तथा एटीएस में पदस्थ रहा। सन् 2011 में उपपुलिस अधीक्षक के रूप में पदोन्नति उपरांत सीएसपी ग्वालियर, एसडीओपी लखनादौन, डीएसपी सिवनी में पदस्थापना रही और वर्तमान में सीएसपी कोतवाली हूं।
* कर्तव्य निर्वहन में किस तरह की बाधाएं आर्इं?
उत्तर- मुझे ड्यूटी के दौरान राजनैतिक दबाव का सामना कभी नहीं करना पड़ा। कानून-व्यवस्था में राजनेताओं और गणमान्य नागरिकों व सामाजिक संगठनों का सदैव सहयोग मिला है। किंतु बढ़ती आबादी और यातायात दबाव, विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक गतिविधियों के कारण पुलिस बल की कमी नजर आई। वर्तमान में हाईटेक तकनीक के चलते पुलिस के पास काफी संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन मैन रिसोर्स की कमी आज भी बनी हुई है।
*फील्ड के पुलिस अफसर में क्या खूबी होना चाहिए
उत्तर- सर्व प्रथम फरियादी को सही तरीके से सुनना चाहिए और उसे समय देना चाहिए, लेकिन यह सच है कि अब भी पुलिस थानों में फरियादी को नजर अंदाज किया जाता है, जबकि पुलिस का समाज के प्रति पहला दायित्व है कि पीड़ित को त्वरित न्याय दिलाया जाए।
* पुलिस में पदोन्नति के संबंध में आपकी क्या राय है
उत्तर- विभाग में जल्द ही पदोन्नति सेवा अवधि के आधार पर दी जा रही है, लेकिन व्यक्तिगत राय है कि पदोन्नति तो मिले, लेकिन नए पद के लिए व्यक्ति की योग्यता और दक्षता का आंकलन होना चाहिए और यदि उसमें योग्यता न हो तो प्रशिक्षण प्रदान कराया जाए।
* एक थाने में दो टीआई की पदस्थापना क्या उचित है?
उत्तर- इस मुद्दे को लेकर विभाग में लंबे समय से मंथन चल रहा है, लेकिन थाने के संचालन हेतु नेतृत्व एक ही इंस्पेक्टर के हाथों में होना चाहिए।
*प्रमुख यादगार प्रकरण कौन से हैं
उत्तर- बहुचर्चित शांता राजौरिया हत्याकाण्ड का खुलासा, सैंकड़ों शहरों में चोरी करने वाले चम्पारन बिहार के गिरोह का पर्दाफाश करना, गोरखपुर में दो दर्जन से अधिक कल्चुरी कालीन पाषण प्रतिमाएं बरामद करना। हजारों वाहनों की बरामदगी, प्रदेश मेें रिकार्ड हथियारों की बरामदगी, स्वामी महेन्द्रानंद की गिरफ्तारी, बाबा विकासनंद सेक्स स्कैंडल, प्रीतेश नंदी हत्याकाण्ड जैसे अनेक प्रकरण यादगार मामलों में शामिल हैं।
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