Wednesday, 6 April 2016

माइक्रो न्यूट्रीशन बढ़ाने चल रहे गहन रिसर्च



 जबलपुर। पिछले पचास वर्षो से गेहूं उत्पादन वृद्धि के लिए पूरी दुनिया में शोध चल रहे थे, भारत में गेहूं की सैकड़ों किस्मे तैयार की गई जिसमें बीज संवद्धन किया गया। उत्पादन के लिए गेहूं का वजन बढ़ा लेकिन अब तक कार्बोहाइड्रेड और अल्प मात्रा में माइक्रो न्यूट्रीशन तत्व ही मिलते थे। किन्तु अब जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय में गेहूं की कुछ नहीं किस्में विकसित कर ली गई है जिसमें कार्बोहाइड्रेड के साथ आयरन तथा जिंक जैसे माइक्रो न्यूट्रीशन की मात्रा बढ़ा ली गई है।
 जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय में पिछल्ले माह गेहूं उत्पादन में वृद्धि के विषय को लेकर कृषि वैज्ञानिकों एवं गेह अविशेषज्ञों का अंतराष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित हुआ। इसमें जहां मध्य प्रदेश के गेहूं की गुणवत्ता को देश में सबसे बेहतर घोषित किया गया। साथ ही उत्पादन वृद्धि को लेकर हुई रिसर्च के साथ गेहूं की पौष्टिता बढ़ाने को लेकर शोध कार्य करने की जरूरत पर बल दिया गया। जहां देश में गेहूं में पौष्टिकता बढ़ाने को लेकर रिसर्च शुरू किए गए है, वहीं जबलपुर कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने इस दिशा में पहले ही बाजी मार ली है। यहां गेहूं की ऐसी किस्ते विकसित कर ली गई है जिसमें आयरन एवं जिंक की प्रचुर मात्रा उपलब्ध है। 
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि बढ़ते हुए खाद्य पदार्थो की मांग के चलते बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो माइको न्ट्रीशियन वाले फू्रट एवं अन्य कीमती सब्जियां आदि नहीं खा पाते है। दूध की उपलब्धता भी कम रहती है। उनके भोजन में गेहूं प्रमुख होता है लेकिन गेहूं से उन्हें कार्बोहाइड्रेड तो मिलता है लेकिन माइको न्यूट्रीशन की बेहद कमी रहती है। मानव की ग्रोथ में माइक्रो न्यूट्रीशन की अहम आवश्यकता होती है। इस लिए  अब यह आवश्यक हो 

गया है कि प्रमुख खाद्य पदार्थ गेहूं की पोष्टिकता बढ़ाई जाए। सामान्य तौर पर गेहूं में माइक्रो न्यूट्रीशन की मात्रा 25 पीपीएम से कम होती है लेकिन जबलपुर में विकसित की गई गेहूं की नई किस्मों के परीक्षण में माइक्रो न्यूट्रीशन की मात्रा 45 पीपीएम तक की गई है। इसमें आयरन एवं जिंक जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए गए है। 
इस दिशा में सोध 
गेहूं संवृद्धन केन्द्र करनाला के वैज्ञानिक डॉ एसके गुप्ता ने बताया कि गेहूं में माइक्रो न्यूट्रीशन बढ़ाने के शोध कार्य चल रहे है। इसके लिए गेहूं में मौजूद साइटेड एन्जाइम बढ़ाने में हम सफल हो जाते है तो गेहूं में स्वत: माइक्रो न्यूटीशन की मात्रा बढ़ जाएगी। जबलपुर के वैज्ञानिकों को इस दिशा में काफी सफलता मिली है। 
्रपौधों को भी चाहिए माइको न्यूट्रीशन 
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके नेमा ने बताया कि पौधों को भी अपनी वृद्धि के लिए माइक्रोन्यूट्रीशन की आवश्यता रहती है। जमीन में जिंक एवं आयरन जैसे तत्वों की जरूरत है। यही तत्व उत्पादन के माध्यम से हमे मिलते है लेकिन गेहूं में इसकी मात्रा कम होती है जिन्हें बढ़ाया जा रहा है।

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