तांत्रिक क्रिया के लिए किया गया था
शिकार
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जबलपुर। पेंच के बफर जोन में बाघ का तीन आदिवासियों ने इसलिए शिकार किया कि वे तंत्रमंत्र कर माया प्राप्त करना चाहते थे। इस आदिवासी इलाकों में यह मान्यता है कि बाघ के पंजे यदि मिल जाए और कोई अच्छे तांत्रिक से संपर्क हो जाए तो आसमान से सोना-रूपए की बारिश होती है जिसके यहां झरती माया कहा जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत सोमवार को वन अमले में बफर जोन के बिछुआ ग्राम के समीप तीन संदिग्धों से पकड़ा तो उसके पास से बाघ के चार पंजे मिले जिसमें बाघ के नाखून लगे हुए थे। वन अधिकारियों ने आरोपी सोनू गौंड , अनिल किरार तथा युवराज रघुवंशी को पकड़ा।
बाबा की थी तलाश
वन अमले ने पूछताछ करने पर उन्होंने पंजे के संबंध में यही बताया कि उससे वे तांत्रिक क्रिया करने वाले थे। इसमें आसमान से करोड़ों रूपए का सोना-चांदी और नोटों की बारिश होती। इसके लिए वे किसी तांत्रिक बाबा की तलाश में निकले थे।
बाक्स
यह है मान्यता
क्षेत्र में यह मान्यता है कि दो तरह की माया होती है एक गड़ा धन वाली होती है जो तांत्रिक क्रिया के माध्यम से प्राप्त होती है और सोने चांदी के घड़े चल कर जमीन से उपर आते है। दूसरी इससे बड़ी माया झरती होती है जिसके सिद्ध होने पर आसमान से सोने चांदी ओर रूपए की बारिश होती है। झरती माया सिद्ध करने के लिए शेर के पंजों की जरूर पड़ती है।
अपराध कबूल किया
वन अमले का कहना है कि पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने जानवर से खेत को बचाने तथा चीतल सांभर जैसे वन्य पशुओं के शिकार के लिए बिजली का तार लगाया थ लेकिन उसकी चपेट में आकर बाघ मर गया। बाघ मरने पर झरती के लिए उसके पंजे काट लिए तथा शव को दफना दिया
तस्करों से कोई संबंध नहीं
वन अमले ने पकड़े गए आरोपियों के सम्बंध में सघन जांच पड़ताल की लेकिन उनको आरोपियों के कहीं से बाघ तस्करों से लिंक नहंी मिले। आरोपियों ने बाघ के चारो पंजे काटने के बाद लाश को करीब 6 फुट गहरे में दफना दी थी। आरोपियों को बाघ की खाल , हड़डी , मांस सहित अन्य किसी अंग से सरोकार नहंी था।
बाघ के पंजों की थी जरूरत
आरोपियों ने भी पूछताछ में यही बताया कि उनको सिर्फ बाघ के पंजे की जरूरत थी। इससे वे तंत्र मंत्र की माया हासिल करना चाहते थे। आरोपियों का कहना है कि पूजा होने से नोट की बारिश होती है।
वर्जन
बाघ के आरोपियों से सघन पूछताछ की गई है लेकिन उनका उद्ेश्य बाघ अंगों की तस्करी करना नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने बाघ के शव को छह फुट गहरे गड्ढे में दफना दिया था । बरामद पंजों के संबंध में कहना है कि इससे झरती माया को जागृत करने वाले थे। आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
चितरंजन त्यागी, सीसीएफ
छिंदवाड़
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