Sunday, 24 April 2016

पुलिस विभाग का विश्वसनीय साथी वायरलैस रेडियो



जबलपुर। शहर के किसी भी कोने में कोई अपराध हो या किसी भी अधिकारी कर्मचारी को कोई संदेश पहुंचाना हो तो वायरलैस सेट सबसे बढ़िया, सस्ता और टिकाऊ माध्यम है। वाईफाई और मोबाइल तकनीक के बावजूद वायरलैस सेट की अपनी उपयोगिता है, जिस पर पुलिस विभाग आज भी निर्भर है। देशभर में तकनीक को लेकर नए नए प्रयोग हो रहे हैं तो उपयोग भी किया जा रहा है, वहीं वायरलैस रेडियो और हैंडसेट अभी भी अपनी जगह बनाए हुए हैं।
एक सेट की कीमत 15-20 हजार
पुलिस कर्मियों के  हाथों में रहने वाले एक हैंडसेट की कीमत लगभग 15 से 20 हजार रुपए होती है। जिसे कर्मचारी के नाम पर ही दर्ज किया जाता है। यदि कभी धोखे से यह खो जाए तो कर्मचारी को अपनी जेब से इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है। इसलिए पुलिसकर्मी हमेशा इसके लिए फिक्रमंद रहते हैं। वहीं गाड़ियों और थानों में लगा सिस्टम इससे ज्यादा कीमत का होता है।
हर थाने में कम से कम 20 हैंडसेट
शहर या गांव हर जगह इस तकनीक से ही पुलिस कर्मी संपर्क में बने रहते हैं। अल्फा, बीटा, सिग्मा या माइक इस तरह के कोड़ के जरिए संबंधित अधिकारी या कर्मचारी को मैसेज भेजा जाता है। रेडियो विभाग के उप अधीक्षक जितेन्द्र पटेल ने पीपुल्स समाचार से चर्चा के दौरान बताया कि हर थाने में कम से कम 20 हैंडसेट हैं, जो अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के हाथों में रहते हैं, इनकी खासियत यह है कि ये 15 किलोमीटर की रेंज तक काम करते हैं।
सबको एक साथ मिलता है संदेश
किसी को भी कोई संदेश देना हो तो रेडियो वायरलैस आज भी सबसे उपयुक्त माध्यम हैं, क्योंकि इसमें मैसेज छोड़ते ही संबंधित व्यक्ति के साथ-साथ उसके सहयोगी को भी मैसेज मिल जाता है। वहीं अधिकारियों को जब कोई मैसेज एक साथ सबको देना होता है तो वे भी रेडियो का ही उपयोग करते हैं।
...वर्जन...
रेडियो वायरलैस आज भी पुलिस विभाग में सबसे उपयोगी तकनीक है, मोबाइल और इंटरनेट के बावजूद इसकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है, क्योंकि ये सस्ता, सुन्दर, टिकाऊ होने के साथ साथ भरोसेमंद भी है। इसमें हैकिंग या डाटा चोरी होने जैसे कोई भी खतरे नहीं हैं।
जितेन्द्र पटेल, उप अधीक्षक, रेडियो

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