Thursday, 14 April 2016

सुलगते जीवन में इंद्रधुनषी रंग बिखरने प्रयास



बेसहारा बालिकाओं का जीवन संवारने ‘ इंद्रधनुष- आओ रंग बिखेरे’ योजना शुरू

जबलपुर। जबलपुर में  पुलिस महानिरीक्षक महिला प्रकोष्ठ कार्यालय द्वारा ‘ इन्द्र धनुष -आओ रंग बिखेरे योजना ’ शुरू की गई है। इस योजना के नाम से जाहिर होता है  कि इन्द्र धनुष की तरह  सुन्दर और सभी रंग से खूबसूरत रचना बनाने संबंधी योजना है। जी हां समाज की एक ऐसी बालिका जिसके माता पिता नहीं है  बेसहारा है, के जीवन में खुशियों के रंग बिखेरने की योजना है। प्रदेश में समुदायिक पुलिसिंग के तहत पुलिस महिला प्रकोष्ठ द्वारा ये योजना प्रारंभ की गई है।
शहर में ऐसी बालिकाएं जो भीख मांग रही है या कहीं मजदूरी करके पेट  की बाग बुझा रही है। उसका बपचन कहीं गुम है। बाला अवस्था सुलगता जीवन बना है और  कू्रर समाज उस पर गिद्ध की तरह  भूखी नजर गढाए है , उसको नोचने और खाने के लिए  तैयार बैठा है,उसकी पहचान कर उसका भवष्यि सुरक्षित करने की पहल नगर में प्रारंभ की गई है। योजना के तहत इस बेसहारा बालिका के जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए उसके लिए एक परिपालक की भी तलाश की जाएगी। इस परिपालक का बालिका को सहारा मिलने से वह भविष्य में सबल आत्मनिर्भर नारी बनकर पुरूष प्रधान  समाज में सम्मान के साथ जीवन जी सकेगी।  इस योजना का उद्देश्य है कि बालिका के जीवन में  खुशियों के रंग भर जाए लेकिन वर्तमान व्यवस्था में  यह सम्भव प्रतीन नहीं होता  है  कानून या किसी शासकीय कार्यक्रम से गुमनाम  निराश्रित बालिका को सहारा मिल पाए।  इस तथ्य को ही ध्यान में रखते हुए आईजी महिला प्रकोष्ठ प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव एवं उनके अधीनस्थ इंस्पेक्टर सुरेखा परमार व अन्य  ने एक ऐसी योजना शुरू करने की कल्पना को सकार रूप दिया जिसमें समाज के हर वर्ग, समाज सेवी संस्थाएं और सहृदय लोग के सामुहित प्रयास से निरापद बालिकाओं को सहारा मिल सके। इसमें शासकीय तंत्र का भी सहयोग रहेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तो इस योजना का शुभारंभ करते वक्त बेहद भावुक हो उठे थे। बहरहाल जबलपुर में भविष्य की एक  बड़ी योजना का बीजारोपण गत शुक्रवार को हो गया।
योजना के संबंध में महिला इंस्पेक्टर सुरेखा परमार ने बताया कि बालकों एवं किशोरों/किशोरियों  को संरक्षण  देने के लिए कानूनी प्रावधान है। उनके लिए सेल्टर हाउस भी है। कई एनजीओ एवं समाजसेवी संस्थाएं कार्य भी कर रही है  लेकिन इसके बावजूद इस दिशा में विशेष गति से कार्य नहीं हो पाए  हैं। अनेक मामले में देखा गया कि ऐसी निराश्रित बालिकाओं को इनके किशोर होने के साथ ही 12-13 वर्ष की उम्र में ही बेंच दिया जाता है अथवा देह व्यापार के घिनौने काम में उतार दिया जाता है। अंधेरी दुनिया में ऐसी अनगिनत बालिकाएं मौजूद  हैं। इस हालत में पहुंचने के पहले ही उन्हें आश्रय देने की जरूरत है। जबलपुर की समाज सेवी संस्थाओं को साथ लेकर निराश्रित बालिकाओं के संरक्षक या प्रतिपालक बनाए जाने का काम सौंपा गया है। दरअसल ये गोद लेने से थोड़ी भिन्न प्रक्रिया है। इसमें बालिकाआें के प्रति उनके संरक्षकों या प्रतिपालकों के दायित्व तय है। वे व्यक्ति अथवा संस्थाएं हो सकते हैं। इसके तहत उनके सुरक्षित आवासीय व्यवस्था, शिक्षा, भरणपोषण एवं स्वास्थ्य का दायित्व सौंपा गया है।
वर्जन
 समाज में निराश्रित बालिकाओं को चिंहिंत किया जा रहा है। इसकेअतिरिक्त प्रतिपालक बनने वालों के आवेदन लिए जा रहे हैं तथा उनका पुलिस सत्यापन के उपरांत नोडल अधिकारी के टीम की मौजूदगी में उन्हें जवाबदारी दी जाएगी। निश्चित ही आने वाले समय में यह योजना से लाभांवित होने वाली बालिकाओं की संख्या बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त ये योजना अन्य जिलों में भी लागू की जाएगी। योजना के तहत भविष्य में  बेसहारा बालक को भी इसी तरह  से संरक्षण प्रदान करने का विचार है।  फिलहाल प्रदेश में सिर्फ जबलपुर में ये पहला  प्रयास है।
श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव
आईजी महिला प्रकोष्ठ

प्रारंभिक चरण की स्थिति एक नजर में
प्रतिपालक बालिकाएं
मप्रवि महिला मंडल - 2
वनवासी चेतना आश्रम -1
एमपी सिंह, कंपनी कमांडर - 2
इंस्पेक्टर सुरेखा परमार -1
श्रीराम शर्मा एसएएफ -1
एमके पांडे -2
मनु खेत्रपाल -1
संध्या विनोदिया -2
सुजाता सिंह -1
गिरीश बिल् लौरे -1
रजनीश सिंह -1

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