Sunday, 24 April 2016

सूख गई हिरन नदी


सूख गई हिरन नदी

* सिहोरा, कटंगी और पाटन के सैकड़ों गांव प्रभावित
 * नदी के साथ एक लाख मवेशियों के कंठ सूखे

 जबलपुर। जबलपुर में सिहोरा, पाटन तथा मझौली तहसील की जीवन रेखा हिरन नदी का आंचल सूख गया है जिसके कारण करीब डेढ़ सौ ग्रामों में इन्सानों के साथ ही मवेशियों को पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। हिरन नदी से सिहोरा नगर के 18 वार्ड की जनता को पानी मिलता था लेकिन नदी सूखने के कारण यहां लोगों को हिरननदी का मीठा पानी से वंचित हो गए है। नगर पालिका किसी तरह बोर एवं टैंकरों से से  पानी से लोगों की प्यास बुझा रही है। प्रशासन उल्टी गंगा बहाने की कवायद  कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि हिरन नदी के सूखने के कारणों को ध्यान न देकर इसमें पानी बढ़ाने के लिए बरगी बांध की नहर से पानी छोड़े जाने के लिए कागजी घोड़े दौडाए जा रहे है। जहां हिरन नदी  जो कि नर्मदा की सहायक नदी है और हिरन का पानी नर्मदा में जाना चाहिए लेकिन प्रयास हो रहा है कि नर्मदा का पानी हिरन को मिले। दरअसल हिरन के सूखने की वजह इसके  घाटों ही नहीं समूची नदी से रेत का बेजा दोहन है।  हिरन नदी के हाल- बेहाल हो गए है। यहां नदी में कई किलोमीट दूर तक ं बंजर जमीन की तरह सूखी बड़ी है। कई किलोमीटर के बाद कहीं गड़्ढ़े अथवा कुण्ड में तलहटी में पानी नजर आता है और ग्रामीण कई किलोमीटर दूर से आकर पानी ले जाते है अथवा अपने मवेशी लेकर पहुंचते है।
आम ग्रामीणों का मानना ळै कि हिरन नदी की इस दुर्दशा का जिम्मेदार  प्रशासन स्वयं ही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से जिस प्रकार से अवैध रेत नदी से निकाली गई। इस बात से कोई भी अनजान नहीं है। और आज ये हालत है कि सदाबहार जीवंत रहने वाली हिरन  नदी गढ्ढों में तब्दील होकर रह गई है।लोगों के अनुसार हिरन नदी चिरंजीवी नदियों में से एक है जो चाहे कितनी भी प्रचंड गर्मी हो लेकिन कभी न सूखने वालीन् नहीं थी। इसमें जंगलों एवं पहाड़ों से अनेक नाले मिलते थे जो इसे भरी गर्मी में पानी की आपूर्ति करते थे लेकिन वे स्त्रोत भी सूख गए है। हिरन की दुर्दशा प्रशासन के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी। क्षेत्रीयवासियों का कहना है कि विगत दो वर्षों से नदी का सूखना कुछ वर्षो से मानसूनी वर्षा न होने के चलते  पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है तो वहीं माइंस की खदानों का नियम विरुद्ध अधिक खुदाई के चलते जलस्तर गिरता जा रहा है दूसरी और देखा जाये तो आज जंगलो में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही है।
नर्मदा की मुख्य सहायक नदी
 उल्लेखनीय है कि हिरण नदी नर्मदा नदी की मुख्य सहायक नदी  है जिससे हिरन नदी के किनारे बसे डेढ़ सौ गांव में पेयजल सहित निस्तार के पानी मिलता है। इस वर्ष जहां अल्प वर्षा के कारण हिरन नदी में  पानी कम रहा अप्रैल माह खत्म होते होत हिरण नदी की मुख्य धारा सूख गई है। कहीं कहीं हिरन नदी में कुण्डों में बुश्किल तलहटी में पानी है। करीब 1 लाख से अधिक मवेशियों की प्यास बुझाने वाली नदी सूख चुकी है।
सिहोरा में आपूर्ति बंद
हिरन नदी के  मझगवां घाट स्थित फिल्टर प्लांट से नगर पलिका सिहोरा 18 वॉर्ड को पीने के पानी की जलापूर्ति होती थी लेकिन हिरन के सूखने के कारण करीब 48 हजार की आबादी हिरन के पानी से वंचित हो गई है। करता है, सिर्फ सात दिनों के लिए पानी की आपूर्ति हो सकेगी।
अवैध खनन मुख्य कारण
हिरननदी में सर्वाधिक दोहन रेत का होता है। खासतौर पर गर्मी के मौसम में नदी के पानी कम होने के साथ ही बड़ी बड़ी मशीनों से पूरी नदी का सीना छलनी कर दिया गया है। जहां तहां कुण्ड बन गए है। नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ जाने से नदी में जल स्त्रोत बंद हो गए जिससे गर्मी में हिरन सूख गई है।
 तलहटी में ठहरा पानी
कूम्ही सतधारा,  घाटसिमया , मझगवां घाट सहित अनेक घाट एवं कुण्डों में तलहटी में  पानी बचा है जिससे बमुश्किल लोगों का निस्तार चल रहा है। अंचल में जहां हिरन के किनारे अंधाधुंध होने वाले बोर भी हिरन नदी के सूखने का एक कारण समझा जा रहा है। 

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