Thursday, 14 April 2016

सूना कर डाला मां नर्मदा का आंचल


रेत माफियाओं की करतूत, घाट के घाट कर दिए खाली, पर्यावरण को हो सकता है भारी खतरा


नदियों की नैसर्गिक सुंदरता और उसके मूल स्वभाव से होती छेड़छाड़ प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही है। प्रदेश की मुख्य नदी नर्मदा का तो समूचा अस्तित्व ही रेत माफियाओं की भेंट चढ़ रहा है। अवैध तथा मशीनों के जरिए किए जा रहे बेतरतीब उत्खनन ने नर्मदा के कई हिस्सों को रेत से सूना कर डाला है। ऐसे स्थानों पर लगता है कि यह नर्मदा नहीं बल्कि कोई गंदा नाला हो। पर्यावरणविदों का मानना है कि इस तरह की गफलत आने वाले वक्त के लिए किसी भी रूप में सुखद नहीं कही जा सकती।
 शहरी क्षेत्र में नर्मदा नदी कि किनारे जहां लगातार बिल्डिंग, अपार्टमेंट, होटल  और कॉलोनियां बिना रोकटोक के बन रही है। इनमें सीवरेज का पानी मिल रहा है। भू माफिया नर्मदा के नैसर्गिक जल भराव क्षेत्र पर गिद्धों की तरह टूट रहे हैं।
गायब हो गई रेत
  कल-कल करती मां नर्मदा के आंचल में रेत माफियाओं की ऐसी नजर लगी की उन्होंने पूरा सीना छलनी कर दिया। रेत ऐसी साफ कर दी कि नीचे बोल्डर, पत्थर के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा है। रेत के सहारे लोग नर्मदा की गोद तक पहुंच जाते थे, पर नुकीले पत्थरों के कारण वे भी जाने से डरने लगे हैं। रेत माफियाओं ने इस कदर अवैध उत्खनन किया है कि तलाशने पर भी रेत नहीं मिलती है। प्रत्येक घाटों में पत्थरों के सिवाए कुछ नहीं बचा है।
खिरहनी में स्टॉक का अड्डा
सूत्र बताते हैं कि इस समय दिन-रात जेसीबी मशीन तथा नाव खेकर रेत माफियाओं के लोग खिरहनी घाट को खाली करने का दौर चला रहे हैं। इस घाट में जिस तेजी के साथ अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है, उससे तो ऐसा लग रहा है कि मानो प्रशासन ने रेत निकालने की छूट दे रखी है। यहां रात के वक्त किश्ती से रेत निकालकर घाट किनारे एकत्र की जा रही है और उसके बाद अलसुबह से ट्रैक्टर और मिनी ट्रक में परिवहन करने का दौर जारी हो जाता है, जो दिनभर चलता है। इस घाट से प्रतिदिन करीब तीन से चार सौ टन रेत का उत्खनन हो रहा है।
खादी का संरक्षण
अवैध रेत निकालने का काम एक या दो दिनों से नहीं, बल्कि लम्बे समय से तेजी चल रहा है, लेकिन मजाल है कि कोई कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा सके। बताया जाता है कि रेत माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। तिलवारा से लेकर चरगवां के बीच करीब जेसीबी मशीनें, 18 किश्तियां और पचासों मजदूर सिर्फ इसलिए लगे हंै कि रात भर रेत निकाली जा सके। इस घाट से रोजाना करीब 75 से 80 ट्रॉली रेत निकाली जा रही है।
बरमान घाट में निकल आए पत्थर
नर्मदा के बरमान घाट पर नजर दौड़ाई जाए तो पूरी तरह रेत निकाली जा चुकी है। माफियाओं ने इस कदर रेत निकाली है कि पत्थर निकल आए हैं। यह कारनामा एक दिन में नहीं, बल्कि कई महीनों में कर दिखाया गया है और प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
...वर्जन...
हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं और अफसरों को निर्देश दे रखे हैं कि वे रेत माफियाओं पर सख्ती बरतें। इसके लिए लगातार मुहिम भी चलाई जा रही है। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को संयुक्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
राजेन्द्र शुक्ल, खनिज मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार
वर्जन...
नर्मदा का आंचल सूना कोई सामान्य घटना नहीं है। इससे पर्यावरण का दूरदर्शी खतरा मंडरा रहा है। रेत निकालने का तौर-तरीका होता है पर मशीनों से अंधाधुंध उत्खनन निश्चित तौर पर नर्मदा के अस्तित्व को संकट में डाल सकता है। असंख्य सूक्ष्म जीव मर रहे होंगे और यही प्रदूषण को बढ़ाने का सबसे कारण बन सकता है।
एस. एन. द्विवेदी,
क्षेत्रीय अधिकारी,
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड.

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