45 डिग्री तापमान
होता है घातक
जबलपुर। पड़ोसी जिला दमोह में पारा लगतार 45 डिग्री के आसपास पहुंच रहा है, वहीं जिलें में जबदस्त जल संकट के साथ ही यहां के जंगलों में भीषण सूखा सामने आया है जिससे परिंदों की मौत होने लगी है।
जानकारो की माने तो मार्च- अप्रैल माह में जंगल में पत्ते गिरने से पेड़ों की छाया चली जाती है ऐसे में परिंदों के घौंसलों में सीधी धूप एवं गर्म हवाओं के थपेड़े पड़ते है लेकिन अप्रैल माह में ही नए और हरे पत्ते आने शुरू हो जाते है किन्तु इस वर्ष अप्रैल माह में ही मई की तरह भीषण गर्मी ने दस्तक दी है और दमोह में पारा उछल कर 45 डिग्री पर पहुंच गया है। इसके चलते जिले में छोटी प्रजाति के परिंदों की गर्म हवाओं के प्रभाव से मौत होने लगी है।
गिद्ध सुरक्षित
दमोह जिला जहां चट्टानी इलाका होने के साथ गिद्धों का आवासीय क्षेत्र है। इस भीषण गर्मी में गिद्धों को कोई विशेष अंतर नहंी आया है। जानकारों की माने तो बड़े पक्षी जहां भीषण गर्मी और लू लपेट के बावजूद लम्बी उड़ान भरने के साथ अपने स्वयं के पंखों की छांव के सहारे गर्मी काट लेते है। दरअसल गर्मी का ज्याद असर गौरेया, लव वर्ड तथा अन्य छोटे पक्षियों पर पड़ रहा है।
प्रवासी पक्षी नदारत
इधर जबलपुर में इस वर्ष नर्मदा तट पर गंगा से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का डेरा था जो मार्च माह के अंत तक ग्वारीघाट क्षेत्र में अपना डेरा जमाए हुए थे लेकिन अप्रैल में माह में हुई तेज गर्मी के साथ वे पलायान कर गए है।
वर्जन
45 डिग्री से अधिक गर्मी में जहां छोटे तथा कमजोर परिंदे मरते है लेकिन उम्र में बड़े तथा मजबूत परिंदे इस गर्मी को बर्दास्त कर लेते है। दरअसल इस सीजन में वे कीट पतंगे आदि खाकर अपने शरीर में पानी की कर्मी पूरी कर लेते है और सूर्य की तपिश से बचने छांव की तलाश भी कर लेते है लेकिन इसके बावजूद परिंदों की मौत हर साल गर्मियों में होती है।
मनीष कुलश्रेष्ठ
No comments:
Post a Comment