Thursday, 14 April 2016

नर्मदा तटों पर कीटनाशक का बेजा उपयोग


जबलपुर। नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों के हजारों हैक्टेयर कछार में व्यापक पैमाने में सब्जी उत्पादन हो रहा है।  जबलपुर तथा मंडला जिले में सिर्फ नर्मदा के किनारे करीब 15 हजार हैक्टेयर में सब्जी की खेती होती है। करीब इतनी ही खेती होशंगाबाद और नरसिंहपुर जिले में हो रही है। नदियों के किनारे व्यवसायिक तरीके से सब्जी उत्पादन में जमकर कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहे है और ये घातक रसायन बारिश में नदी में मिल रहे है जिससे नर्मदा के तट जहरीले होते जा रहे है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में नदी के किनारे परम्परा गत खेती होती रही है लेकिन जिस तरह से खेती का व्यवसार्यीकरण हुआ है। उससे नर्मदा के कछार जहरीले हो गए है। नर्मदा के कछार में सर्वाधिक भटा, टमाटर तथा हरी सब्जियों ठंड एवं गर्मी में उत्पन्न की जा रही है। महाकौशल क्षेत्र में कुल सब्जी उत्पादन का 20 प्रतिशत उत्पादन नर्मदा के कछारों से हो रहा है। सब्जी उत्पादन से किसानों को जो आमदनी होती है, वह अन्य फसलों की तुलना में 40-50 प्रतिशत अधिक है।  सब्जियों की व्यावसायिक खेती से कीटों तथा बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ा है। नतीजतन किसानों द्वारा कीटनाशक रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। बारिश और सिंचाई के चलते यहीं प्रदूषित जहरीला पानी नर्मदा मे मिल रहा है।
 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एनएस द्विवेदी की माने तो नर्मदा में सूक्ष्म जीवों के खत्म होने का बहुत बड़ा कारण कीटनाशक की नर्मदा में मिलना है।
जैविक खेती विकल्प
कृषि वैज्ञानिक एसएस तोमर ने बताया कि नर्मदा एवं उसकी सहायक नदी को कीटनाशक के जहर से बचाने के लिए उसके कछारों एवं उसके निकट स्थित खेतों का व्यापक पैमाने में सर्वे करने के बाद वहां सिर्फ जैविक खेती को ही बढ़ावा देना चाहिए। जहां जैविक खेती से उत्पन्न सब्जियों का स्वाद बेहतर होता है तथा ये मानव शरीर में प्रतिकूल असर नहीं डालती है। बाजार में अनेक कंपनियों के जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक मौजूद है जिसका उपयोग किसान कर सकते है। दूसरी तरफ कृषक जैविक कीटनाशकों पर भरोसा नहीं कर रहे है। उन्हे तत्काल असर दिखाने वाले पेसटीसाइड पर ही भरोसा है। श्री तोमर ने बताया कि ऐसी तकनीक मौजूद है जिससे सब्जियों में े कीटों तथा बीमारियों का हमला कम होता है।
सरकार ने संज्ञान में लिया
प्राप्त जानकारी के अनुसार नर्मदा नदी के किनारे खेती में होने वाले कीटनाशक के इस्तेमाल को सरकार ने संज्ञान में लिया है। सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है कि नर्मदा के किनारे कछार में खेती मे कीटनाशक पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया जाए। इसके चलते कृषि मंत्रालय से एक परिपत्र भी प्राप्त हुआ है। इसके चलते नरसिंहपुर एवं मंडला जिले में सर्वे

 कराया जा रहा है कि वहां कितने इलाके में खेती हो रही है और कौन कौन किसान कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहा है।

जगरूकता जरूरी
 सरकारी प्रतिबंध के बावजूद भी यह संभव नहीं है कि किसानों को कीटनाशक के प्रयोग करने से रोका जाए। ऐसे में जरूरी है कि किसान में जागरूकता आए और वे स्वयं की कीटनाशकों का इस्तेमाल कर करे।
बीपी त्रिपाठी
 संयुक्त संचालक कृषि जबलपुर

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